-वीर विनोद छाबड़ा
कल शाम की बात है। लखनऊ के मुंशी पुलिया चौराहे पर ऑटो वालों
और पब्लिक के बीच कुछ ठनी-ठनी वाली सूरत थी।
यों ये रोज़ का नज़ारा है। मगर कल माहौल में तपिश ज्यादा थी।
एक ऑटो चालक पर इलज़ाम था कि उसने ज्यादा चार्ज किया है।
ऑटो चालक कह रहा था कि उसने प्रशासन द्वारा निर्धारित किराया
ही वसूला है।
सवारी अड़ी हुई थी ये ज्यादा है। इतनी महंगाई है और ऊपर से ऑटोवाले
लूट रहे हैं।
ऑटो ड्राइवर बोला -
सरकार से कहो। सीएनजी के दाम कम करा दो। एक्ससाइज़ घटाओ। पेट्रोल
और डीज़ल पर वैट फ़िक्स करने की नीति वापस लो।
रोड टैक्स हटा दो। आरटीओ में घूसखोरी बंद करा दो।
बिजली के दाम कर दो। चोरी रुकवा दो।
आटा-दाल-चावल सस्ता करा दो। किरयाने की दुकान पर बहस करते हो
कि टूथ पेस्ट महंगा क्यों है, चीनी दाल चावल आटा क्यों महंगा?
हमसे और रिक्शवाले की रोज़ी-रोटी पर डाका डालने को हर वक़्त तैयार
रहते हो।
मज़दूर मिस्त्री को उसके परिश्रम के पूरे दाम नहीं चुकाते। बल्कि
तय समय से भी ज्यादा देर तक काम लेना चाहते हो।
कामवाली बाईयों का जम कर शोषण करते हो।
डॉक्टर दो मिनट देखता है। उसे पांच रूपए फ़ीस देते हुए जान नहीं
निकलती। रसीद तक नहीं मांगते।
इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर को भी उसके श्रम और हुनर की कीमत चुकाने
से इंकार करते हो।
हमारा कोई बीमा नहीं, सामाजिक सुरक्षा
नहीं। बीमार पड़ जायें तो उस दिन की कमाई गयी।
हम रोज़ कुआं खोदो और खाने वालों में हैं। वाहेगुरु, अल्लाह, जीसस और ईशवर
ही हमारा सहारा और रखवाला है।
आप और आपके बच्चे शॉपिंग मॉल जाते हो। मल्टीप्लेक्स में सनीमा
देखते हो। घर में एसी भी लगा होगा।
साहब जी, हमारे भी बाल-बच्चे हैं। उनका भी दिल है। उनका
भी हक़ बनता है। मॉल में शॉपिंग का और फिर फ़ूड कोर्ट में खाने का। सलमान की बजरंगी भाईजान
को मल्टीप्लेक्स में देखने का मन करता है।
ऑटो वाले को ही किराया देते हुए ही जान निकलती है और महंगाई
को याद करते हो।
सपने दिखाने वालों को वोट करते हो। भावुक मत बनो। ज़मीन पर रहना
सीखो।
इतने में दो खाकी वर्दी वाले डंडा घुमाते हुए आये।
सभा विसर्जित हो गयी।
मैंने अपना वोट ऑटो चालक के पक्ष में डाला और वहां से चल दिया।
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27 Aug 2015 Mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
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