Saturday, August 8, 2015

विचित्र जीव किशोर कुमार से सावधान!

-वीर विनोद छाबड़ा 
०४ अगस्त १९२९ को जन्मे किशोर कुमार का नाम कानों में पड़ा नहीं कि उनके गाये सैकङों हृदय-स्पर्शी गीत स्वतः ही ज़ुबां पर आ जाते हैं। एक्टिंग उनका मजबूत पक्ष नहीं था, लेकिन उन्होंने हंसाया बहुत। वो डायरेक्टर भी थे और संगीतकार भी। उथल-पुथल भरा निजी जीवन। चार बार विवाह। इस सबके बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है।

बहुत ही विचित्र जीव थे किशोर दा। एकांतवासी और गैर-सामाजिक। न सिगरेट, न शराब। कोई दोस्त भी नहीं। प्रीतीश नंदी ने एक इंटरव्यू में पूछा -कैसे कटता है जीवन?
जवाब में वो पेड़ से बातें करने लगे। ये हैं मेरे दोस्त। उन्होंने पेड़ो के नाम भी रखे हुए थे।
अवांछित आगंतुकों से दूरी बनाये रखने के लिए किशोर ने आर्किटेक्ट से ऐसा डिज़ाइन बनवाया जिसमें घर के चारों और गहरी खाई और उसमें पानी का प्राविधान था। खासी पब्लिसिटी के बाद में यह प्लान वापस ले लिया। 
किशोर ने अपने कमरे में अनेक मानव खोपड़ियां और हड्डियां फैला रखी थीं। लाल-नीले और हरे-पीले बल्ब ध्वनि सहित जलते-बुझते थे। ताकि डरावने माहौल से घबरा कर आगंतुक जल्दी भाग जाये।
किशोर इंदिराजी की इमरजेंसी के सख्त विरोधी थे। एक कांग्रेस रैली में उन्होंने गाने से मना कर दिया। इसका खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ा। रेडियो पर उनके गाने प्रतिबंध कर दिये गए।
किशोर कभी भरोसेमंद नहीं रहे। न जाने, कब किससे नाराज़ हो जायें। अमिताभ बच्चन ने उनके प्रोग्राम में जाने से मना कर दिया। बदले में किशोर ने प्लेबैक देने से मना कर दिया। कई साल बाद सुलह हो पायी। ऐसा ही मिथुन चक्रवर्ती के साथ हुआ। मिथुन की गलती यह थी कि उन्होंने किशोर की तलाकशुदा योगिता से शादी की थी।
पहले पैसा, फिर काम के हिमायती किशोर 'भाई-भाई' के सेट पर आधे मेक-अप में आये। आधा पैसा, आधा काम। बड़े भाई अशोक कुमार के समझाने पर वो मान गए। लेकिन शॉट के दौरान पलटी मार गए। सेट के एग्जिट डोर से निकल भागे।
प्रोड्यूसर-डायरेक्टर आरसी तलवार के घर बाहर खूब हंगामा किया। ओये तलवार, दे दे मेरे आठ हज़ार। पैसा मिलने पर ही हटे।

निर्माता-निर्देशक एचएस रवैल किशोर का बकाया पैसा देने उनके घर गए। रसीद मांगी तो उनके हाथ पर काट लिया - मिल गई।
निर्देशक जीपी सिप्पी को देख कर वो भाग खड़े हुए। सिप्पी ने उनका पीछा किया। कई किलोमीटर दूर जा कर दबोचा। मगर किशोर ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया और पुलिस बुलाने की धमकी दी। दूसरे दिन एक रिकॉर्डिंग पर सिप्पी की उनसे भेंट हुई। सिप्पी ने उनसे पिछले दिन की घटना के बारे में पूछा तो वो साफ़ इंकार कर गये - मैं तो कल खंडवा में था।
किशोर के मनमौजी व्यवहार से क्षुब्ध एक निर्माता कोर्ट से कहना मानने का आर्डर ले आये। अगले दिन शूटिंग पर आये तो उन्होंने कार से उतरने से मना कर दिया। डायरेक्टर ने तो आर्डर नहीं दिया। उसी दिन एक सीन में उन्हें कार रोक कर से उतरना था। लेकिन कार २५ मील दूर रुकी। डायरेक्टर ने 'कट' नहीं बोला था।
किशोर के असहयोग से नाराज़ फाइनेंसर कालीदास की शिकायत पर इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें बहुत परेशान किया। सुलह के लिए उन्होंने कालीदास को घर बुलाया और एक कमरे में बंद कर दिया। पूरे ढाई घंटे बाद रिहा किया - आयंदा से सूरत मत दिखाना।

किशोर को अपनी ऐसी ही बेजा हरकत से एक बार ज़बरदस्त खामियाज़ा भुगतना पड़ा। हुआ यों कि ऋषिकेश मुखर्जी ने 'आनंद' के लिए किशोर और महमूद को लेने का मन बनाया। वो इस सिलसिले में किशोर के घर मिलने गए। लेकिन दरबान ने घुसने नहीं दिया। दरअसल, किशोर को बंगाली नाम के एक स्टेज मैनेजर से खुन्नस हो गयी। अपने दरबान से कह दिया कि बंगाली आये तो उसे घर में घुसने मत देना। दरबान ने बंगाली ऋषिदा को वही अवांछित बंगाली समझ लिया। बाद में वो भूमिकायें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन को मिल गयीं। और एक इतिहास बन गया। 
किशोर के व्यक्तित्व का मानवीय पहलू भी था। उन्होंने एक्टर-डायरेक्टर बिपिन गुप्ता की आड़े वक़्त बहुत मदद। उनमें 'गायक' पहचानने वाले मित्र अरुण मुखर्जी की मृत्यु के बाद भी उनके परिवार की नियमित आर्थिक मदद करते रहे।
अवांछित को दूर रखने की गरज़ से गेट पर 'किशोर से सावधान' की तख़्ती लगाने वाले विचित्र जीव किशोर मौत को आने से नहीं रोक पाये। १३ अक्टूबर १९८७ को उनका हार्ट फेल हो गया। उस वक़्त वो बड़े भाई अशोक कुमार का जन्मदिन मना रहे थे।
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