-वीर विनोद छाबड़ा
एक बहुत बड़े व्यापारिक संस्थान में सहायक की पोस्ट के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ।
नौकरी क्या स्वयंवर जैसा खुला खेल था।
इंटरव्यू में पूछा जाने वाला सवाल पहले ही बता दिया गया। शर्त यही थी कि जो उदाहरण सहित सही जवाब देगा नौकरी उसी को मिलेगी।
सवाल यह था - पैदाइशी टैलेंट और गॉड गिफ्टेड टैलेंट क्या होता है?
सबको मालूम था कि इस कंपनी के बॉस की एक खूबसूरत बेटी है। उसे सहायक की नहीं दामाद यानि वारिस की ज़रूरत है।
लाखों अर्जियां आ गयीं। एक से बढ़ कर एक टैलेंट वाले। खूबसूरत और अकलमंद। लाखों करोड़ों की नौकरी करने वालों ने भी अप्लाई किया।
सिफारिशें भी हज़ारों में आयीं- घर की कामवाली बाई से लेकर नंबर हीरो-हीरोइन और मंत्री-संत्री तक से। विदेश के मुखिया भी रूचि लेने लगे।
लेकिन कंपनी के बॉस ने इन सबको किनारे कर दिया। सिफारिश मतलब डिस-क्वालिफिकेशन।
शार्ट लिस्ट करने के बाद कई हज़ार अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। कोई भी स्पष्ट और सटीक उदाहरण नहीं दे पाया। बॉस उदास हो गए - शायद मेरी कंपनी की किस्मत में काबिल सहायक नहीं है, जिस पर मैं ऐतबार कर सकूं।
तभी सेक्रेटरी ने कहा - सर, एक आख़िरी कैंडिडेट बचा है।
बॉस ने भारी मन से कहा - भेजो। इसे भी देख लें। शायद मेरा नसीब अच्छा हो।
एक दुबला-पतला साधारण शक्ल-सूरत वाला नौजवान दाखिल हुआ। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक झलक रही थी।
बॉस ने एक हजारवीं दफ़े सवाल किया - क्या तुम्हें यकीन है कि तुम्हारे पास मेरे सवाल का जवाब है?
नौजवान ने सीना ठोंक कर जवाब दिया - यस सर।
बॉस ने जम्हाई ली - तो बताओ।
नौजवान ने बताया - सर, मैं किसी भी टॉपिक पर मैक्सिमम दो घंटे भाषण दे सकता हूं। सर, यह तो हुआ पैदाइशी टैलेंट।
बॉस जैसे नींद से जागा हो। सपना पूरा होने की उम्मीद दिखी उसे - वेरी गुड। आगे बोलो ।
नौजवान के चेहरे से आत्मविश्वास मानों टपकने लगा - सर, सवाल के दूसरे हिस्से का जवाब महिला में छुपा है। वो बिना किसी टॉपिक के सुबह से शाम तक भाषण दे सकती है। सर, यह गॉड गिफ्टेड टैलेंट है।
बॉस यह जवाब सुन कर उछल पड़ा।
उस नौजवान को नौकरी मिल गई। जिसने ज़िंदगी का असल मर्म समझ लिया हो उससे ज्यादा काबिल कौन हो सकता है। कुछ समय बाद बॉस की छोकरी भी उसे मिल गई। फर्म का पार्टनर तो वो बन ही गया।
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