- वीर विनोद छाबड़ा
आज जब बांग्लादेश के
मीरपुर में एशिया कप के लिए भारत-पाकिस्तान के टीमें ट्वंटी-२० मैच में आमने-सामने
हुई तो प्रेशर बहुत हाई था। चाहे वो सरहद के इधर हो या उधर। क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं
रखने वाला भी सर से पांव तक बहुत भीतर तक घुस हुआ था - भैया, बताना तो क्या पोजीशन
है?
कई गृहणियों का रसोई
में ध्यान नहीं लगा। जली रोटियां भी खानी पड़ी। चाय बेस्वाद मिली। कभी चुपचाप सुनने
के लिए अभिशप्त पत्नियों ने आज साअधिकार जली-कटी सुना भी दी - जैसे तुम्हीं तुर्रमखां
हो। हमें भी समझ है क्रिकेट की।
मीडिया तो भौकाल खड़ा
किया ही करता है। छिपकली की तरह रंग बदलता है। जीत मिली तो डंका और हारे तो डंडा।
खिलाडियों को बहुत
समझाया जाता है कि मैदान के बाहर जो कुछ घटता है उससे प्रभावित न होना। लेकिन ऐसा होता
नही। खिलाडियों की बॉडी लैंग्युएज बताती है कि सब कुछ ठीक नहीं है।
लेकिन युद्ध के मैदान
में तो सब जायज है। और जब अंत में जब जीत हासिल होती है तो सारे गिले-शिकवे भी जाते
रहते हैं। जो बना हो दो। नमक नहीं, कोई बात नहीं। अरे छोड़ो, किसी बढ़िया रेस्टोरेंट
में डिनर के लिए चलते हैं।
ख़ुशी में बम और पटाखे।
आसमान रंग बिखेरती हवाईंयां और फिर धड़ाम-धड़ाम। आसमान धुआं-धुआं। ऐसा ही बहुत कुछ हुआ।
और सरहद के उस पार
मायूसी है, गुस्सा है और सुना है तोड़-फोड़ भी हुई। खिलाडियों को गालियां
भी पड़ीं। उनके घर पर ईंट-पत्थर फेंके गए।
ऐसा हर मैच के बाद
होता है। कभी जश्न इधर और मायूसी उधर। और कभी इसके उलट भी।
बहरहाल, आज का मैच। बहुत ही
शानदार रहा। भारी उलट-फेर होते होते बचा।
पाकिस्तान सिर्फ़ ८३
रन। बहुत ख़ुशी हुई। अब तो सब हलवा है। लेकिन निराशा भी। एक तरफा हो गया यह तो। आठ-दस
ओवर में फिनिश।
लेकिन असली क्रिकेट
वही होता है जो आख़िरी गेंद तक चले। हालांकि इसमें ऐसा तो नहीं हुआ। मगर फिर भी एक स्टेज
पर - २.२. ओवर पर ८ रन और ३ विकेट। रोहित, रहाणे और रैना पैवेलियन
में। लग रहा था वाकई जंग हो रही है। दोनों तरफ सासें रुक गयी। कमजोर दिल वाले आंख पर
पट्टी बांध और कानों रुई ठूंस कर सोने की कोशिश करने लगे। मीडिया ने ऐसी तैसी करने
के लिए म्यान से तलवारें खींच लीं।
लेकिन तभी हार-और जीत
के दरम्यान कोहली विराट सीमेंट बन कर खड़ा हो गया- ५१ गेंद पर ४९ रन। साथ में मैन ऑफ़
दि मैच।
साथ दिया ३२ गेंद पर
सिर्फ १४ रन बनाने वाले युवराज सिंह ने। विस्फोटक बल्लेबाज़ के बल्ले से ऐसी धैर्यपूर्वक
धीमी इनिंग, यकीन नहीं होता न। लेकिन मौके की नज़ाकत पर ऐसी ही पारी खेलने
वाला हीरो होता है।
जीत के बाद कप्तान
धोनी ने कबूल किया कि १००-११० रन बनाने होते तो बहुत मुश्किल होता मैच बचाना।
कुछ दिन पहले कोहली
के एक शैदाई ने पाकिस्तान में तिरंगा लहराया था। दस साल की जेल सुना दी गयी ग़रीब को।
संयोग से आज सुबह ही उसे ज़मानत मिल गयी। ये भी बधाई की ख़बर है।
आजतक चैनल ने दिखाया।
जेएनयू में जश्न मनाया गया। तिरंगे लहराये गए और रैली भी निकाली गयी। जेएनयू की एक
अच्छी तस्वीर। इसकी भी बधाई।
बधाई लेने-देने और
जश्न मनाने वाला रहा यह मैच। कई दिन तक यह सिलसिला चलेगा।
लेकिन टीम इंडिया और
समर्थकों को जोश में होश नहीं खोना। यह फ़ाईनल नहीं है। हो सकता है फ़ाईनल में एक बार
फिर आमना सामना हो। बाज़ी पलट सकती है।
मत भूलो कि क्रिकेट
महान अनिश्चितताओं से भरा खेल है।
---
27-02-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
No comments:
Post a Comment