Sunday, August 7, 2016

झाड़ू।

- वीर विनोद छाबड़ा
झाड़ू झाड़ू झाड़ू...द्वार द्वार पर झाड़ू बेचने वाले की आवाज़ है। हमारी पहली प्राथमिकता यही रहती है कि इसी से झाड़ू खरीद लें। लेकिन दावे के बावजूद इनमें क्वालिटी नहीं होती है। मजबूरन बाजार से झाड़ू लानी पड़ती है। कई लोगों के लिए दृश्य बहुत मनोहारी होता है - अच्छा तो अब ये दिन आ गये हैं। अच्छा काम मिला है रिटायरमेंट के बाद। आइये एक फोटो हो जाए।

हमें मालूम है कि इसे वो मित्र मंडली में सर्कुलेट करेंगे। कोई फेसबुक पर भी चेंप देगा। हम जैसे-तैसे बच निकलते हैं। एक बार हम झाड़ू लेकर लौट रहे थे। कैमरा लिए एक साहब मिल गये। सर, आप बहुत अच्छे लग रहे हैं। बिलकुल परफेक्ट मॉडल। मैं सुबह से ही ऐसे बंदे की तलाश में हूं। इसे कंधे पर रख लें। और एक फोटो हो जाए। अख़बार में छपेगा। आपका बहुत नाम होगा। चाहें तो ड्राइंग रूम में भी अपने पुरखों के साथ टांग लेना।
हम टाईम मशीन में बैठ गये हों जैसे। साठ-सत्तर साल आगे निकल गये। हमारी अगली से अगली पीढ़ी को बहुत गर्व हो रहा है। यह जिनका एक पैर शेर के सर पर है और कंधे पर बंदूक है, हमारे परदादा के परदादा हैं...और यह जिनके कंधे पर झाड़ू है, यह हमारे परदादा हैं।
हमारे जैसे बहुत भुक्तभोगी हैं। एक मित्र मिले - कहां चल दिए? हमने कहा - कल्लू किरयाना स्टोर तक जा रहे हैं। थोड़ी शॉपिंग करने।
वो बोले - जाना तो हमें भी है। लेकिन एक ही आईटम के लिए बाज़ार क्या जाना। फिर पैरों में तकलीफ़ भी है। गाउट ने अटैक मारा है। लौटते हुए एक ठो झाड़ू लेते आना हमारे लिए।

हम जल-भुन कर राख हो गये। अपने लिए लाते हुए तो हमें लज्जा आती है। रास्ते में बीस लोग मिलते हैं और हरेक बीस सवाल करता है। इनके लिए क्यों लाऊं? गाउट की आड़ लेकर बड़े सयाने बनते हैं। हम भी दिखा देंगे कि उनसे कम सयाने नहीं हैं। कोई घंटे बाद हम लौटे तो रास्ते में ही खड़े उन्हें इंतज़ार करते पाया। हमें बिना झाड़ू के देखा तो उन्होंने सवाल किया।
हमने पहले से तैयार जवाब दिया। सफाई रखना राष्ट्रीय अभियान है। इसलिए झाड़ू पर सब्सिडी है। सब्सिडी सीधे खाते में जायेगी। और इसके लिए आईएफएस कोड सहित बैंक अकाउंट नंबर और आईडी प्रूफ होना ज़रूरी है।
---
07-08-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar 
Lucknow - 226016

No comments:

Post a Comment