-
वीर विनोद छाबड़ा
पिछले दिनों एक रिश्तेदार को देखने हम एक वृद्ध लोगों के अस्पताल गया। बाहर निकले
ही थे कि कॉरिडोर में एक पुराने मित्र मिल गये। वो किसी परिजन को देखने आये थे। हमें
भी साथ ले लिया। यार हम दोनों रिटायर हैं। टाईम ही टाईम है। चलो किसी का 'टाईम पास' बन कर थोड़ा पुण्य कमा
लें।
हम एक वार्ड में घुसे। पंद्रह-बीस मरीज रहे होंगे वहां। सब के सब वृद्धावस्था की
बीमारियों से ग्रस्त। किसी को ठीक होकर घर नहीं जाना है। सीधा परलोक सिधारना है। कोई
महीने भर के बाद और कोई छह महीने पर। हो सकता है कि कोई सुबह ही निकल ले। उनके रिश्तेदार
उन्हें यहां मरने के लिए ही छोड़ गये हैं।
हम मित्र के परिजन से मिले। बिलकुल हट्टे-कट्टे। हमें हैरानी हुई - आप तो तंदुरुस्त
दिखते हैं। आप यहां क्यों हैं?
उन्होंने बहुत सामान्य भाव से कहा - कैंसर है। अस्सी प्लस का हूं। न जाने कब बुलावा
आ जाये? बच्चों के पास फ़ुरसत नहीं। उनकी गलती नहीं। कोई बरेली में तो कोई राय बरेली में।
कोई दिल्ली के एनसीआर में, मेरठ, गुड़गांव, नॉएडा और फ़रीदाबाद में। ये ग्लोबलाईज़ेशन की देन है। सबको दूर-दूर फ़ेंक दिया। संयुक्त
परिवार रहे नहीं। पत्नी भी नहीं है। हर संडे को मेरे बेटे-बेटियां और उनके बेटे-बेटियां
आते हैं। बड़ा मज़ा आता है। बहुत उम्दा खाने-पीने को मिलता है। उस दिन भूख भी बहुत लगती
है। बिलकुल पिकनिक जैसा माहौल रहता है। शाम को विदा होते हैं तो साले खुद भी रोते
हैं
और मुझे भी रुला देते हैं। फिर अगले संडे तक का इंतज़ार करता हूं। इस बीच मन लगाने की
कोशिश करता हूं। मुझे अच्छी पेंशन मिलती है। सब यहीं खर्च हो जाती है। अस्पताल का खर्च, दवाईयां, खाना-पीना, अख़बार, रिसाले और पुस्तकें
पढता हूं। हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी कुछ भी मिल जाये। दूसरे मरीज़ों से मिलता हूं। जो पढता हूं, उनसे शेयर करता हूं।
हौंसला देता हूं। पॉजिटिव बनो। बाकी जिंदगी को एन्जॉय करो। जिंदगी का दिया यहीं छोड़
दो। गुड नाईट। कल मिलेंगे, अगर ज़िंदा रहे तो। अन्यथा आगे-पीछे ऊपर मिलेंगे।
हम घंटों उनके पास बैठे रहे। उनकी मज़ेदार बातें सुनते रहे। हमें लगा उन्होंने जिंदगी
का एक-एक क्षण भरपूर जीया है। मजबूर होकर तभी उठे, जब उन्होंने कहा -
अब आप लोग जाओ। मेरे सोने का समय हो गया है।
जब भी मौका मिले आना।
लेकिन हमें दोबारा मौका नहीं मिला। तीसरे दिन वो नींद में ही चल बसे।
---
09-08-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
No comments:
Post a Comment