Thursday, April 14, 2016

भगवान के बंदों से डरो।

- वीर विनोद छाबड़ा
एक दिन दफ़्तर में कुछ खाली बैठे कुछ बंदों को खुजली हुई। जागरण और फिर भंडारा लगाया जाये। भगवान खुश होंगे। दलिदर दूर करेंगे। तरक्की होगी। समाज में मान मर्यादा स्थापित होगी।

उन्होंने एक रसीद बुक खरीदी। उस अपनी मोहर का ठप्पा लगाया। चंदा वसूली शुरू हुई। सबसे पहले अफसरों का नंबर लगाया। हमारे कमरे में भी आये। हमने अपने स्टेटस के हिसाब से दे दिया। उन्होंने रसीद काट दी।
हमारे बगल में बैठे साथी अफ़सर ने कहा - नहीं दूंगा। जो करना है कर ले।
थोड़ी बहुत जिरह भी हुई। चंदे वाले चले गए।  साथी ने मूंछों पर ताव दिया - देखा, भगा दिया। समझते हैं फ्री की रकम है। क्या कर लेगा भगवान?
हमने समझाया - भले मानुस, भगवान तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। वो अपशब्द भी माफ़ कर देगा। मगर भगवान के यह बंदे नहीं छोड़ेंगे। इन से डरो।

साथी अफ़सर ने हमें झिड़क दिया - ये बंदे क्या कर लेंगे? आपने उन्हें चंदा देकर बिगाड़ दिया है।
हमने उन्हें फिर बड़े प्यार से समझाया - तुम्हारी इन्क्रीमेंट की फाईल में कुछ खुड़पेंच लग जाएगा। पे अथॉरिटी नहीं कटेगी। टीए-डीए का बिल लटका देंगे। आपका डेढ़ लाख का मेडिकल बिल भी तो अटका हुआ है। ये सारे  काम यही बंदे कर रहे हैं।
हमारी बात का साथी अफ़सर पर त्वरित प्रभाव पड़ा। उठ कर बाहर भागे।

आगे की कहानी यह है कि उन्होंने सबसे ज्यादा चंदे की रसीद कटवाई और पूजा-पाठ में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। ध्यान भी रखा भगवान के बंदों को किसी चीज़ की कमी न होने पाए। 
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14-04-2016 Mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

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