Tuesday, March 21, 2017

पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए

-वीर विनोद छाबड़ा
Drinking is not good for health
कोई ४५ बरस पहले की बात है। हम अपने के मित्र के घर गए। देखा, वो खरगोश को बीयर पिलाने को कोशिश कर रहे थे।
हमने पूछा - ऐसा क्यों कर रह हो?
वो बोले - यार, ये बिल्ली से डरता है। बीयर पिला कर इसे मुकाबले के लिए तैयार कर रहा हूं।
वो दिन है और आज का।
हमने दुनिया में अनेक लुंज-पुंज सूटेड-बूटेड शख्सियतों को देखा है। महफ़िलों में बेआवाज़ आते हैं और एक कोने में कुर्सी खींच कर बैठ जाते हैं। रॉक पर एक पैग डलवाया। भुने मुर्गे की टांग मुंह में दबाई। और फिर दो घूंट हलक से नीचे उतरते हैं। अचानक जैसे आग लग गई हो। वो लुंज पुंज शख्सियतें जी उठती हैं। उनके पैरों में थिरकन आ जाती है। मुंह में बोलने वाली जुबान लग जाती है। और आखिर में होता यह है कि अक्सर ऐसे ही लोग महफ़िल लूट कर ले जाते हैं।
हम एक ऐसे साथी अधिकारी को जानते हैं जो बॉस के बुलाने पर अकेले जाने में घबराते थे। उनकी कोशिश रहती कि कोई साथ चले। फिर किसी ने 'घुट्टी' पीनी सीखा दी। दो पैग लगाये। मुंह में दो जोड़ा ३२ नंबर तंबाकू किमाम जर्दा सहित किनारे ठूंसा। पांच मिनट जुगाली की। फिर पिच से थूका। अलमारी के पीछे वाली पहले से रंगीन दीवार और भी रंगीन हो गयी। बॉस से अकेले ही लंबी-लंबी वार्ताएं करने लगे। यहां तक कि गलत बात पर भिड़ने भी लगे। उन्हें कई बार वार्निंग भी मिली। लेकिन बाज़ न आये। 
दरअसल ये नामुराद चीज़ ही ऐसी है कि असहज को मिनटों में सहज बना देती है।
इसके सहारे बड़ों-बड़ों को खुश करने वाले भी बहुत देखे हैं हमने। बिगड़े कामों को संवरते भी देखा है।
किसी को महल बनाते देखा है और किसी के महल गिरते हुए भी देखे हैं।
चिराग जलते ही शेर बने हुओं को सुबह को भीगी बिल्ली बने हुए भी देखा है।
दोस्ती बनते भी और टूटते भी देखी है। प्यार से गले मिलते और इसकी आड़ में छुरा घोंपते भी देखा है।
दो घूंट अंदर धकेल कर रात-रात भर भोंपू पर फ़िल्मी तर्ज पर इबादत करने वालों को भी देखा है।
ऊपर से मज़बूत दिखते मगर अंदर ही अंदर खोखले होकर मरते हुए भी देखा है।
हमने ऐसे भी देखे हैं जिन्हें कामयाबी का ऐसा नशा चढ़ा कि जश्न मना डाला। और कई टन बहा दी।
दूसरों की मेहनत पर अपना नाम चेंप दिया। फिर लाखों खर्च करके 'जश्न' मना डाला। असली वाले को कहीं कोने में बैठे बोतल में डूबे गम ग़लत करते देखा - हमने तो कलियां मांगी काँटों का हार मिलाचोरों को सारे नज़र आते हैं चोर.
कइयों को मोहब्बत का ऐसा नशा भी चढ़ा देखा कि जोश में आकर हुकूमत और खुदा तक को टक्कर दे दी।
पीने वालों को पीने का बहाना ढूंढ़ते देखा। नए जूते तक सेलिब्रेट कर डाले। 
नशे की और भी लाखों मिसालें हैं।
लेकिन हमने सब नशेड़ियों को मात करने वाले ऐसे भी नशेड़ी देखे जिन्होंने 'माहौल' का नशा किया। न सूंघी और न हलक से नीचे उतारी। दुनिया भर का ऐसा लुत्फ़ उठाया कि पक्के नशेड़ियों तक मात खा गए। नशेड़ियों से खेलते रहे। न रंग लगा, न फिटकरी और रंग चोखा। फायदा ही फायदा।
दावा है कि इनकी तादाद पीने वालों से कई गुना ज्यादा है।

हां, यह सच है कि इसका अहसास हमें बोतल छोड़ने के बाद हुआ। 
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