Thursday, March 30, 2017

ईमेल एड्रेस

-वीर विनोद छाबड़ा
कई साल पहले हमने एक पत्रिका में एक प्रेरक कथा पढ़ी थी। पत्रिका का नाम याद है। लेखक का नाम अंकित नहीं था, यह हमें अच्छी तरह याद है। लेकिन कथा प्रेरक होने के कारण याद है। इसे हम अपने शब्दों में पेश कर रहे हैं।

एक युवक नौकरी की तलाश में शहर आया। अख़बार में विज्ञापन देखा। एक बड़ी कंपनी में क्लर्क का स्थान रिक्त था।
वहां उसका बहुत बढ़िया इंटरव्यू हुआ। इंटरव्यू लेने वाले ऑफिसर ने उसे बताया गया कि नतीजा कुछ दिन बाद आएगा। आपको ईमेल द्वारा सूचित किया जाएगा। अपना ईमेल एड्रेस दे दें।
युवक  ने कहा - मैं एक गरीब परिवार से हूं।गांव में रहता हूं। न बिजली, न पानी। जैसे-तैसे बीए किया है। कंप्यूटर से मेरा दूर-दूर तक वास्ता नहीं। मेरा ईमेल एड्रेस नहीं है।
ऑफिसर ने कहा - तब तो तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। यह नौकरी उसे ही मिलेगी जिसका ईमेल एड्रेस होगी।
निराश युवक वहां से चल दिया। वो घर वापस आने के लिए बस स्टैंड पर खड़ा था। उसे प्यास लगी। पास में ही प्याऊ था। उसने भरपेट पानी पिया। सोचने लगा अगर यहां गुड़ भी होता तो बड़ा अच्छा होता।
अचानक उसे एक आईडिया सुझाई दिया। उसकी जेब में कुछ रूपए थे। उसने उन रुपयों का गुड़ खरीदा। उसकी कई भेलियां बनायीं।
और उन्हें बेचने के लिए उसी प्याऊ की बगल में बैठ गया। दरअसल वो शहर से थोड़ा दूर का इलाका था। दूर-दूर तक कोई दुकान नहीं थी। राहगीर, ट्रक और बाइक वाले प्यास बुझाने के साथ-साथ गुड भी खरीद कर खाने लगे।
इससे युवक को बहुत फायदा हुआ। पहले दिन दस रुपए, दूसरे दिन २५, तीसरे दिन ४०, चौथे दिन ६० रूपए का लाभ हुआ।  
और इसी तरह यह रकम बढ़ती रही।
साल बीतते-बीतते वो गुड़ का एक छोटा-मोटा सफल व्यापारी बन गया।
दो साल बाद बड़ा व्यापारी हो गया। गुड ट्रांसपोर्ट करने के लिए तीसरे साल उसने अपना ट्रक खरीद लिया।
चौथे साल उसने कुछ चार ट्रक खरीदे और एक ट्रांसपोर्ट एजेंसी भी खड़ी कर ली।
पांचवें साल ट्रांसपोर्ट एजेंसी में कुछ ट्रक और जुड़ गए। अब ट्रको की संख्या सैकड़ों में हो गयी और संपति भी करोड़ों में हो गयी।

उसे लोग-बाग़ सेठजी कहने लगे। उसके परिवार के सारे लोग भी उसके व्यवसाय से जुड़ गए। दूर-दूर तक ख्याति फैली कि कैसे एक आदमी 'फर्श से अर्श' तक पहुंच गया।
एक पत्रकार ने जब सुना तो सोचा किसी बड़े अखबार के लिए बढ़िया स्टोरी हैं। वो उस सेठ का इंटरव्यू लेने गया। सेठजी ने पत्रकार को बहुत अच्छा इंटरव्यू लिया।
पत्रकार ने धन्यवाद दिया कि आपने अपना बेशकीमती वक़्त दिया। और यह भी वादा किया कि वो इस इंटरव्यू को बहुत बढ़िया डिस्प्ले के साथ एक बहुत बड़े अख़बार में प्रकाशित कराने की कोशिश करेगा। ताकि दूसरों को भी इबरत हासिल हो। अंत में उसने कहा - इसकी सूचना मैं आपको ईमेल के ज़रिये भेज दूंगा। आपका ईमेल एड्रेस क्या है?
इस पर सेठ जी ने कहा - मेरा कोई ईमेल एड्रेस नहीं  है।
पत्रकार को हैरानी हुई - इतना बड़ा व्यवसाय और ईमेल ऐड्रेस नहीं? वाह! धन्य हैं आप। अगर आपका ईमेल एड्रेस होता तो जानते हैं आप कहां होते?
उस व्यापारी ने जवाब दिया - हां, जानता हूं। क्लर्क होता!
---
30-3-2017 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

No comments:

Post a Comment