- वीर विनोद
छाबड़ा
अभी कुछ ही दिन
पहले की बात है। हम अपने मित्र राजन प्रसाद के घर गए। हमेशा की ऊपर मुमटी में थे। हम
भी पहुंच गए।
कबाड़खाने में
समुंद्र मंथन चल रहा था। गुज़री यादें और दिन खंगाले जा रहे थे। तभी उसमें से निकली
जाली।
राजन बोले इसे
हमारे घर में डोलची कहा जाता था।
हमने अपने कई
मित्रों से पुष्टि की तो कई लोगों ने बताया कि उनके घरों में नेअमत खाना या नियामत
खाना कहा जाता था।
टीन की बनी होती
थी यह जाली। डिज़ाईन तकरीबन एक जैसा। अक्सर लोग पेंट करा दिया करते थे। कोई हरा तो कोई
नीला। किसी किसी को लाल रंग पसंद था। किसी किसी के घर में लकड़ी की होती थी। साठ-सत्तर
के दशक में मिडिल क्लास का फ्रिज समझिए। बचा हुआ भोजन और दूध इसी में रख दिया जाता
था। रात में घसीट कर खुली हवा में आंगन में ले आये। किस्मत अच्छी रही तो गर्मियों में
दूध फटता नहीं था।
दूध के अलावा
भी तमाम आईटमों को बिल्ली से हमेशा खतरा रहता था। मसलन मक्खन, मलाई, छाछ वगैरह। चूहे लोग भी इधर-उधर मुंह मारा करते
थे। उनका विशेष जोर डबलरोटी कतरने पर होता था। छोटे-छोटे तो दूध में गिर भी जाते थे।
यह आईटम जाली में बहुत सुरक्षितरहते थे।
हमें याद है
कि हमारे घर में दो जालियां होती थीं। एक हमेशा खुले बरामदे में रखी रही। मां कभी-कभी
रात की बची दाल भी इसी में रख देती थी। सुबह बच गई तो ठीक वरना सुबह...
दूसरी जाली रसोई
में रहती थी। वहां इसकी भूमिका छोटे से स्टोर के रूप में रही। दाल-चावल, चीनी, चाय की पत्ती आदि का छोटा-मोटा स्टॉक 'तुरंत उपलब्धता' की स्थिति में रहता। नमक-मिर्चा आदि तमाम मसाले
भी इसके ऊपर के खाने में रखे रहते। इसकी रूफ टॉप पर थोड़ी सी क्रॉकरी और गिलास भी।
हमें याद है
मां को आमतौर पर उठना नहीं पड़ा। चौकी पर बैठी-बैठी घूम गईं और ज़रूरी आईटम तुरंत निकाल
लिया।
मां हफ़्ते-दस
दिन में एक बार इसकी जम कर सफ़ाई करती थी ताकि कॉकरोच और चींटियां दूर रहें।
फ्रिज के आगमन
से यह मिडिल क्लास घरों से तो निकाल ही दी गई। रसोई को आधुनिक रूप देने का चलन शुरू
हुआ तो यह वहां से भी लुप्त हो गई। कई घरों में एंटीक के तौर पर आज भी मौजूद है। हमारे
घर में इसका इस्तेमाल रद्दी हो गई कॉपी-किताबें और अख़बार ठूंसने के लिए बरसों तक होता
रहा। फिर एक दिन कबाड़ी ले गया।
अब तो बाज़ारों
में भी दिखती नहीं। कबाड़ियों के स्टोरों में भी उपलब्ध नहीं है। एंटीक आईटम हो गया।
जिसके घर में है, सुरक्षित रखें।
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26-03-2016 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016
Hamare ghar mei bhi thi. Mei to abhi bhi search ksr rahi kahi mil jaye to kharid lungi.
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