फिर बने कोहली संकट मोचक।
- वीर विनोद छाबड़ा
९४ पर ४ ओवर १४, रन बाकी ६७ गेंद ३६ पर। सामने कंगारू। विश्व की स्ट्रांग टीम। क्रीज़ पर भरोसेमंद कोहली और मिस्टर कूल और आज की तारीख़ में नंबर वन ग्रेट फिनिशर धोनी। मगर मिशन फिर भी मुश्किल। एक ग़लती और गई भैंस पानी में।
भूखे कंगारू किसी मौके के इंतज़ार में।
ओवर दर ओवर मैच फंसता ही जा रहा था। टीम इंडिया की हार की श्रद्धांजलि लिखनी शुरू हो गई।
मिरेकल रोज़ थोड़े ही होते हैं। लेकिन क्रिकेट का अलिखित नियम फिर आड़े आया। अंतिम गेंद तक इंतज़ार कर।
और फिर सामने कोहली है। मौजूदा क्रिकेट की हर फॉर्मेट का शानदार खिलाड़ी। मैदान के किसी एक सेक्शन का ही नहीं हर सेक्शन में गेंद को हिट करने में महारत हासिल है उसे।
सुना है आजकल अनुष्का से भी उसका अलगाव हो चुका है। कुछ ऐसा करके दिखाना है कि अनुष्का को अफ़सोस हो कि सोना नहीं उसने हीरा खोया है।
ख़ैर यह अनुष्का वाली बात छोड़ो। क्रिकेट में फ़ोकस ज़रूरी है और कोहली को इसकी समझ है। मालूम है कोहली को देख कर लोग सचिन को भूल गए हैं। और यों भी हर खिलाड़ी के दिन होते हैं। उसे पारस बनने का वरदान मिल जाता है। जिसे हाथ लगाओ सोना। आजकल ऐसे ही दिन कोहली के चल रहे हैं। रनों के लिए उसकी भूख बढ़ती जा रही है। इसीलिए वो हर शॉट खेल सकता। मैदान की हर लूपहोल उसने रीड कर रखी है। हर क़िस्म के गेंदबाज़ के दिमाग को पढ़ने में उसे महारत हासिल है। ऑस्ट्रेलिया के कंगारू गेंदबाज़ उसके सर्वप्रिय शिकार हैं।
याद है कुछ ही दिन तो हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया को उसी की ज़मीन पर २०-ट्वेंटी सीरीज़ में लगातार तीन मैच अकेले कोहली ने अपने दम पर हराये हैं। मैन सीरीज़ भी वही बना था। पिछले एशिया कप और मौजूदा वर्ल्ड कप में भी तो वो संकट मोचक बनता आया है। बाकी सब तो उसे निहार रहे हैं।
बहरहाल इस मैच में वो काफ़ी देर से क्रीज़ पर था। उसकी गेंद पर आंखें सेट हो चुकी थीं। ऐसे में उसे गेंद फुटबाल साइज़ दिखने लगी। उसकी आंखें कंगारूओं को बता रहीं थीं, होली तो हो ली है। लेकिन अभी बाकी कोहली। फिर उसने साथियों से वादा भी किया हुआ था। यक़ीन रखो। मैं मैच जिता कर ही वापस आऊंगा।
इसीलिए कंगारूओं ने १८ वें ओवर में बहुत ही सटीक और तजुर्बेकार गेंदबाज़ फॉकनर को गेंद थमाई। ३९ रन बाकी हैं। बनने नहीं चाहिए। मगर कोहली ने बाज़ी पलट दी। इस ओवर कोहली के ४, ४ और ६ रन, बाई १ और धोनी के २ रन बने। कुल १९ रन। अब १२ गेंद पर २० रन। कुल्टर नील के इस ओवर में कोहली ने चार हैरान कर देने वाले चौके लगा दिए। स्टेडियम झूम उठा। अगले ओवर की पहली बाल। कप्तान धोनी का चिर-परिचित हेलीकॉप्टर शॉट। जीत गई टीम इंडिया।
कुल मिला कर यह चमत्कार तो नहीं था लेकिन संकट मोचक कोहली का कारनामा ज़रूर था।
मगर भी खुश होने के ज़रूरत नहीं। वर्ल्ड कप दो क़दम दूर है। और ये दो क़दम कोई आसान नहीं। क्रिकेट में तो कुछ भी हो सकता है।
- वीर विनोद छाबड़ा
९४ पर ४ ओवर १४, रन बाकी ६७ गेंद ३६ पर। सामने कंगारू। विश्व की स्ट्रांग टीम। क्रीज़ पर भरोसेमंद कोहली और मिस्टर कूल और आज की तारीख़ में नंबर वन ग्रेट फिनिशर धोनी। मगर मिशन फिर भी मुश्किल। एक ग़लती और गई भैंस पानी में।
भूखे कंगारू किसी मौके के इंतज़ार में।
ओवर दर ओवर मैच फंसता ही जा रहा था। टीम इंडिया की हार की श्रद्धांजलि लिखनी शुरू हो गई।
मिरेकल रोज़ थोड़े ही होते हैं। लेकिन क्रिकेट का अलिखित नियम फिर आड़े आया। अंतिम गेंद तक इंतज़ार कर।
और फिर सामने कोहली है। मौजूदा क्रिकेट की हर फॉर्मेट का शानदार खिलाड़ी। मैदान के किसी एक सेक्शन का ही नहीं हर सेक्शन में गेंद को हिट करने में महारत हासिल है उसे।
सुना है आजकल अनुष्का से भी उसका अलगाव हो चुका है। कुछ ऐसा करके दिखाना है कि अनुष्का को अफ़सोस हो कि सोना नहीं उसने हीरा खोया है।
ख़ैर यह अनुष्का वाली बात छोड़ो। क्रिकेट में फ़ोकस ज़रूरी है और कोहली को इसकी समझ है। मालूम है कोहली को देख कर लोग सचिन को भूल गए हैं। और यों भी हर खिलाड़ी के दिन होते हैं। उसे पारस बनने का वरदान मिल जाता है। जिसे हाथ लगाओ सोना। आजकल ऐसे ही दिन कोहली के चल रहे हैं। रनों के लिए उसकी भूख बढ़ती जा रही है। इसीलिए वो हर शॉट खेल सकता। मैदान की हर लूपहोल उसने रीड कर रखी है। हर क़िस्म के गेंदबाज़ के दिमाग को पढ़ने में उसे महारत हासिल है। ऑस्ट्रेलिया के कंगारू गेंदबाज़ उसके सर्वप्रिय शिकार हैं।
याद है कुछ ही दिन तो हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया को उसी की ज़मीन पर २०-ट्वेंटी सीरीज़ में लगातार तीन मैच अकेले कोहली ने अपने दम पर हराये हैं। मैन सीरीज़ भी वही बना था। पिछले एशिया कप और मौजूदा वर्ल्ड कप में भी तो वो संकट मोचक बनता आया है। बाकी सब तो उसे निहार रहे हैं।
बहरहाल इस मैच में वो काफ़ी देर से क्रीज़ पर था। उसकी गेंद पर आंखें सेट हो चुकी थीं। ऐसे में उसे गेंद फुटबाल साइज़ दिखने लगी। उसकी आंखें कंगारूओं को बता रहीं थीं, होली तो हो ली है। लेकिन अभी बाकी कोहली। फिर उसने साथियों से वादा भी किया हुआ था। यक़ीन रखो। मैं मैच जिता कर ही वापस आऊंगा।
इसीलिए कंगारूओं ने १८ वें ओवर में बहुत ही सटीक और तजुर्बेकार गेंदबाज़ फॉकनर को गेंद थमाई। ३९ रन बाकी हैं। बनने नहीं चाहिए। मगर कोहली ने बाज़ी पलट दी। इस ओवर कोहली के ४, ४ और ६ रन, बाई १ और धोनी के २ रन बने। कुल १९ रन। अब १२ गेंद पर २० रन। कुल्टर नील के इस ओवर में कोहली ने चार हैरान कर देने वाले चौके लगा दिए। स्टेडियम झूम उठा। अगले ओवर की पहली बाल। कप्तान धोनी का चिर-परिचित हेलीकॉप्टर शॉट। जीत गई टीम इंडिया।
कुल मिला कर यह चमत्कार तो नहीं था लेकिन संकट मोचक कोहली का कारनामा ज़रूर था।
मगर भी खुश होने के ज़रूरत नहीं। वर्ल्ड कप दो क़दम दूर है। और ये दो क़दम कोई आसान नहीं। क्रिकेट में तो कुछ भी हो सकता है।
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Lucknow - 226016
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