-वीर
विनोद छाबड़ा
वो
भी एक अजीब दौर था। चुंबन शब्द पर बात करना ही गुनाह की श्रेणी शुमार था। इस पर
हमने एक किस्सा सुना था। एक संगीत चैनल पर अन्नू ने भी उस दिन याद दिलाया।
यह
बात १९४८ की है। आरके स्टूडियो में ‘बरसात’ की
शूटिंग चल रही थी। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर और हीरो थे राजकपूर। किसी शाट पर गाड़ी अटक
गयी। शूटिंग रोकनी पड़ी। राजकपूर स्क्रिप्ट पर डिस्कस करने अपने रूम में चले गए।
हीरोइन नर्गिस कोने में बैठी कोई स्क्रिप्ट पढ़ने लगी। उनकी आंखों से झर-झर आंसू
बहने लगे। सबने इसे देखा। मगर पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
तभी
उधर जाने कहां से उछलते-कूदते शम्मी कपूर आ टपके। राजकपूर के छोटे भाई,
मस्तमौला। उम्र रही होगी,
सत्रह-अठारह साल की। दाढ़ी-मूंछ निकल ही रही है। आंखों में
बलां की शरारत। उनको राज साहब से कुछ जेबखर्च के सिलसिले में कुछ एक्स्ट्रा पैसा
चाहिए था। शम्मी ने भी नर्गिस को रोते देखा। उससे रोने की वजह पूछी।
नर्गिस
ने शुरू में तो बताने से इंकार कर किया। लेकिन जब इसरार किया तो राज खोल दिया। 'आवारा' की
स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं। क्या ज़बरदस्त किरदार है हीरोइन का। पढ़ कर आंसू आ गए। काश!
ये किरदार मुझे मिल जाता।
उन
दिनों राजकपूर और नर्गिस के रोमांस का कोई चक्कर नहीं था। अगर था भी तो
ढका-छुपा।
शम्मी
को खुद पर बहुत गुमान था। ये कौन बड़ी बात है? मैं अभी राज साहब से बोल देता हूं।
इस
पर नर्गिस को शरारत सूझी। अगर तुम मुझे ये फिल्म दिलवा दो तो मैं तुम्हें एक 'किस्स' दूंगी।
यह कहते हुए नर्गिस ने अपने गाल की ओर ईशारा कर दिया।
शम्मी
की आंखों में चमक आयी। ज़रूर! तब तो ज़रूर भाई साहब से बात करूंगा।
कुछ
अरसा गुज़र गया। राजकपूर-नर्गिस का रोमांस खासा परवान चढ़ गया। ऐसे में राजकपूर को
आवारा की हीरोइन के लिए नर्गिस के सिवा और कुछ दिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता
था। इधर नर्गिस ने भी ‘आवारा’ के
लिए जी-जान लगा दी।
उन
दिनों आर.के. स्टूडियो में ‘आवारा’ की
शूटिंग चल रही थी। एक बार फिर शम्मी को जेब खर्च के सिलसिले कुछ एक्स्ट्रा पैसे की
ज़रूरत पड़ी। वो राज साहब से मिलने स्टूडियो आये। लेकिन ‘बरसात’की
शूटिंग के दौरान दिखे शम्मी और अब वाले शम्मी में ज़मीन आसमान का फ़र्क था। अब शम्मी
२१ साल के ऊंचे कद वाले भरपूर दिलकश जवान थे, पतली-पतली मूंछ वाले
और गोरे-चिट्टे।
नर्गिस
ने शम्मी को देखा। एक अरसे बाद देख रही तो उसे। कुछ पहचाना सा चेहरा लगा। वहीं खड़े
एक स्पॉट से पूछा। उसने बताया शम्मी है यह। तभी नर्गिस ने देखा कि शम्मी उसी की और
बढ़ा चला आ रहा है। वो पशोपेश में पड़ गयीं। तभी नर्गिस को 'बरसात' की
शूटिंग के दौरान शम्मी से किया 'किस्स' वाला
वादा याद आ गया। मुझे आवारा दिला दो तो मैं तुम्हें किस्स दूंगी।
सकपका
गयीं नर्गिस। उन्हें लगा शम्मी अपना वादा याद कराने आया है। लेकिन वो वादा तो
मैंने किशोर शम्मी से किया था! यह तो भरा-पूरा जवान है। मैं तो इसे न देती किस्स।
यह
सोचते ही नर्गिस वहां से भाग खड़ी हुई। उन्हें भागते हुए देख शम्मी हैरान हुए। यह
जानने के लिए कि बात आखिर बात क्या है, शम्मी भी पीछे-पीछे भागे। यह नज़ारा देख यूनिट के बाकी लोग भी हैरान हुए।
आखिर
थक कर नर्गिस बैठ गयी। चेहरा छुपा लिया। वहीं शम्मी भी आ गये। यों भागने की वजह
पूछी। जब नर्गिस ने उन्हें भागने की वजह
बतायी तो शम्मी जोर से हंस पड़े। अरे मैं तो कब का भूल चुका हूं उस वादे को। लेकिन
आज आपने याद दिलाया है तो वसूलने का हक़ तो बनता ही है।
नर्गिस
घबड़ा गयी। लेकिन तब और अब में फ़र्क भी तो बहुत आ गया है।
शम्मी
हंस पड़े। तो ठीक है। लेकिन वादा तो वादा ही है। निभाना तो पड़ेगा ही। चलिए किस्स के
बदले ग्रामोफोन हो जाये।
नरगिस
ने राहत की सांस ली और बड़ी खुशी-खुशी ही नहीं,
आनन-फानन में ये वादा पूरा कर दिया।
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Published in Navodaya Times dated 30 March 2016
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