Sunday, October 16, 2016

इन्वेस्टमेंट

- वीर विनोद छाबड़ा
उसका नाम प्रेम था। उम्र महज पांच साल। काम था, पेड़ से गिरे फल उठाना और फिर बाज़ार में बेचना।
उस रात खूब आंधी चली। सुबह वो अपनी तीन साल की छोटी बहन रमा के साथ अमियां बीनने गया। ढेर अमियां बीनीं उन्होंने। बाजार में बेच देंगे। अच्छे पैसे मिलेंगे। प्रेम यह सोच ही रहा था कि सहसा उसे अहसास हुआ कि रमा उसके साथ नहीं है। वो परेशान हुआ। पीछे पलट कर देखा। सौभाग्य से रमा उसे तुरंत ही दिख गयी।
वो एक विशाल शोरूम के बाहर खड़ी थी। शोकेस में रखी खूबसूरत गुड़ियां निहार रही थी। प्रेम को सहसा बड़े भाई होने का अहसास हुआ। बहन के लिए ढेर प्यार उमड़ आया। उसने दुकानदार से गुड़िया की कीमत पूछी।
दुकानदार बलजीत सिंह ने गुड़िया की जो कीमत बताई, वो बहुत ज्यादा थी। प्रेम ने बताया कि उसके पास अमियां हैं। गुड़िया के बदले वो अमियां दे सकता है।
बलजीत सिंह तैयार हो गए। प्रेम ने बाज़ार में बेचने के लिए कुछ अमियां अपने पास रख लीं और शेष उन्हें दे दीं। बलजीत सिंह ने गुड़िया पैक करा दी।
प्रेम को अपने पर बहुत गर्व हुआ। फिर दोनों भाई-बहन खुश होकर चले गए।
बलजीत सिंह का सेल्समैन छोटू यह सब देख रहा था। उसको बहुत हैरानी हुई - पा'जी यह कौन सी समझदारी है? इतनी महंगी गुड़िया, महज कुछ अमियों के बदले आपने दे दीं। यह तो बिलकुल मुफ्त में देना हुआ।

दिलजीत पा'जी ने छोटू के सर पर प्यार से एक चपत मारी - ओ छोटे, तू दिमाग से भी छोटा ही रहा। जानता है तू, यह मेरा इन्वेस्टमेंट है। एक दिन यह प्रेम बड़ा होगा। इसे गुड़िया की असली कीमत पता चलेगी। तब यह सोचेगा कि दुनिया में भले लोग भी हैं, जो इंसान से प्यार करते हैं। तब इसके मन में अच्छा इंसान बनने की फीलिंग पैदा होगी। और अगर वो अच्छा आदमी बन गया तो समझो मेरा इंसान की योनि में पैदा होना सफ़ल हो गया। मेरे से प्रेरणा लेकर एक आदमी तो अच्छा इंसान बना।
नोट - एक कहानी, जो हमें बचपन में जनता स्कूल के एक शर्मा मा'साब ने सुनाई थी। पूरा नाम याद नहीं है।
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16-10-2016 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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1 comment:

  1. बङी मार्मिक अौर प्रेरक कहानी है वीर विनोद जी।

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