Thursday, October 13, 2016

डॉक्टर का पता

- वीर विनोद छाबड़ा
मित्र अंशुमान खरे आजकल अस्वस्थ हैं। कलाई की हड्डी टूट गयी है।
कल शाम हम अमर उजाला वाले मोहन मंगलम के साथ उन्हें हम देखने उनके निवास पर गए। उनकी पत्नी ने बताया कि अमूक रोड पर स्थित डॉक्टर के क्लीनिक गये हैं।
हम उधर ही चल दिए। निर्धारित स्थान पर पहुंचे तो थोड़ा भ्रम हुआ। शाम का धुंधलका गहरा हो चुका था। वहां हमें मेडिकल स्टोर दिखा और एक्सरे भी। लेकिन समझ नहीं आया कि डॉक्टर कहां है? चलती-फिरती सड़क थी। हर आदमी भाग रहा था। कोई बाईक पर तो कोई स्कूटी पर। कार वाले तो उड़ रहे थे। किसे रोक कर पूछें? ऐ भाई ज़रा रुकना। लेकिन कोई रुकने को तैयार ही नहीं।

एक साईकल फंसा। वो भी बांह छुड़ा कर भागने को था। दौड़ा कर ज़बरदस्ती रोका। वो बोला मैं तो सेक्टर १४ में रहता हूं। मुझे क्या मालूम यहां का जुग़राफ़िया। आजू-बाजू झांका। वहां चार लोग खड़े थे। चारों के हाथ में मोबाईल। एक महिला गुस्से में थी। परली तरफ वाले को डांट रही थी। दूसरे सज्जन सिर्फ कान लगाये थे। कुछ तनावपूर्ण मुद्रा में थे। निश्चित ही पत्नी की सुन रहे थे। तीसरे साहब बहुत हंस-हंस कर बात कर थे। शायद पड़ोसन या प्रेमिका से बात कर रहे थे। चौथे साहब किसी को निर्देश दे रहे थे। दस बोरी सीमेंट और बीस बोरी मौरंग फलां साहब के घर भिजवा दो।
किसी की बात में खलल न पड़े। इसलिए हम इंतज़ार करने लगे। जैसे-तैसे सीमेंट-मौरंग वाले खाली हुए। हम लपके। डॉक्टर का पता पूछा। उसने बाईक स्टार्ट करते हुए लगभग डपट दिया। मैं तो यहां मोबाईल सुनने रुक गया था।
इससे पहले कि हम निराश होते कि एक साहब एक मकान की गैराज से बहुत तेजी से बाहर निकले। हमने उनको पकड़ लिया। उसने हम लोगों को हैरत से देखा। यही तो है डॉक्टर का क्लीनिक। गैराज के पीछे। गौर किया तो पता चला कि पेड़ों के झुरमुट में उनका बड़ा सा बोर्ड छुपा गया हुआ था। हम दोनों भीतर गए।
रिसेप्शन पर दो सुंदर बालिकाएं बैठी थीं। हमने मित्र में बारे में पूछा तो उनमें से एक ने बताया। वो चले गए।

हम वापस मुड़ने को ही थे कि दूसरी वाली ने रोक दिया। वो जो आपकी तरह दिखते है और गोरे गोरे से हैं?
हमने छूटते ही कहा - हां, हां। वो हमारे डुप्लीकेट हैं।
उसने कहा - तो फिर आप बैठें। वो अंदर डॉक्टर के पास हैं।
बैठे बैठे हमारे दिमाग में चार बातें आयीं। एक, कि सारे गंजे-गंजे से दिखने वाले एक से दिखते हैं। दूसरी, कि उसने हमें गोरा कहा। इसका मतलब हमारा आईना ख़राब है। इसे बदलना होगा। तीसरी, कि गोरी तो आप भी हैं। चौथी, कि शुक्र है कि जुबान फिसली नहीं। वरना पिटने की संभावना थी।

मित्रों आप तो जानते ही हैं कि इस उम्र में पिटना कितना प्रलयंकारी होता है। 
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