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वीर विनोद छाबड़ा
बधाई टीम इंडिया। इंदौर टेस्ट में न्यूज़ीलैंड को ३२१ रन से हरा दिया। सीरीज़ में
न्यूज़ीलैंड को ३-० धो दिया। क्लीन स्वीप। टेस्ट क्रिकेट में ऐसी जीत मायने रखती है।
सामने कोई भी हो, मज़बूत ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड या फिर कमज़ोर मानी जा रही न्यूज़ीलैंड।
यों न्यूज़ीलैंड इतनी भी कमजोर भी नहीं थी। अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम लेकर आये थे। हैरानी
होती है कि ताश के पत्तों की तरह ढह गयी। प्रॉब्लम यह हुई कि वे रविचंद्रन अश्विन की
स्पिन के चक्रव्यूह में फंस गए। अश्विन आज दुनिया के मिस्ट्री बॉलर हो गए हैं। शेन
वार्न, मुरलीधरन और अनिल कुंबले की भांति मिथक बन गए हैं। इनके जादू को तोड़ना मुश्किल
हो रहा है। ये कहना भी मुनासिब होगा कि किसी को समझने का मौका ही नहीं दे रहे हैं।
मैच में १३ विकेट और सीरीज़ में कुल २७ विकेट। मैन ऑफ़ दी मैच के साथ-साथ मैच ऑफ़ दी सीरीज़
भी। अद्भुत परफॉरमेंस। बिना अच्छे साथी के कोई भी स्पिनर स्टार नहीं बन सकता। उनका
साथ रवींद्र जडेजा ने भी बहुत अच्छा दिया।
चौथे दिन टी टाईम के बाद न्यूज़ीलैंड जब मैदान में उतरी थी तो उसका स्कोर ३६ पर
था। किसी ने भी बहुत खराब सपने में भी नहीं सोचा था कि अगले दो घंटे में नौ विकेट गिर
जाएंगे। इसीलिए कहते हैं क्रिकेट एक फन्नी गेम है।
दरअसल, सारा खेल है, विकेट के मिज़ाज़ को पढ़ना। कैप्टन विराट कोहली की तारीफ़ करनी पड़ेगी। पहले बल्लेबाज़ी
चुनी और विशाल स्कोर खड़ा किया ५५७/५ विकेट पारी घोषित। इतना बड़ा स्कोर। कोई भी टीम
हो, दबाव में आ जाती है। न्यूज़ीलैंड २९९ पर आलआउट। फॉलोऑन नहीं दिया। क्योंकि कप्तान
ने पिच को अच्छी तरह रीड कर लिया था कि चौथी इनिंग खेलना आसान नहीं होगा। उन्हें अपने
गेंदबाज़ों पर भी भरोसा था और टीम के दूसरे खिलाड़ियों पर भी कि कठिन समय पर धैर्य नहीं
खोएंगे। दूसरी पारी २१६/३ पर घोषित। लक्ष्य दिया ४७५ रन का। चौथे दिन का खेल खत्म होते
होते न्यूज़ीलैंड १५३ पर ढेर।
इस मैच की कुछ और उपलब्धियां भी रहीं। गौतम गंभीर की वापसी। दूसरी पारी में जड़ा
पचासा। कैप्टन कोहली का पहली पारी में दोहरा शतक (२११)। पिछली कई पारियों से चला आ
रहा सूखा ख़तम। अजिंक्य रहाणे पहली पारी में १८८ और चेतेश्वर पुजारा दूसरी पारी में
१०१ नॉट ऑउट। मुरली विजय अपनी बैटिंग परफॉरमेंस की दृष्टि से इस टेस्ट को भूलना चाहेंगे।
कुल मिला कर टीम इंडिया के हर खिलाड़ी ने इस सीरीज़ में मौका आने पर अच्छा परफॉर्म
किया। चाहे बैटिंग रही हो या फील्डिंग और या बोलिंग या कीपिंग।
गुरूमंत्र यह है कि विपक्षी टीम को हमेशा प्रेशर में बनाये रखो और एक अदद ट्रंप
कार्ड जेब में रखो। श्रृंखलाएं इसी तरह जीती जाती हैं।
लेकिन अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है। अगला मुकाबला क्रिकेट के पितामाह इंग्लैंड
से होना है। लंबी होम सीरीज़ है। रास्ता कठिन है। लेकिन हिम्मत हो तो जीत भी है।
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