Friday, January 13, 2017

यह अभिमन्युओं का दौर है।

- वीर विनोद छाबड़ा
कोई चार महीने पहले की बात है। हमारे पड़ोसी का चार साल का पोता निक्कू अक्सर खेलते खेलते मेरे घर आ जाता है। बच्चा है। उस पर वो नटखट भी है। स्वाभाविक है कि कुछ न कुछ छेड़ेगा ही। हम कोशिश करते हैं कि कीमती और संवेदनशील वस्तुएं उससे दूर रहे।

मगर उस दिन हमारे मोबाइल पर उसकी नज़र पड़ ही गई। हम उस वक़्त बाथरूम में थे। बाहर निकले तो देखा निक्कू मोबाइल पर गेम्स खेल रहे हैं। हमने बहुत समझाया - बेटा ये बच्चों  खेलने की चीज़ नहीं। ख़राब हो जाएगी। जा तेरे दादू बुला रहे हैं।
मगर उसने हमें मोबाईल नहीं लौटाया। उलटे हमें  समझाने लगा कि दादू मोबाईल पर गेम कैसे खेला जाता है। निक्कू मोबाईल पर तब तक गेम्स खेलता रहा जब तक कि थक नहीं गया। और इधर हमारा ब्लड प्रेशर उबालियां खाता रहा। सत्रह हज़ार का मोबाईल। हम ठहरे रिटायर आदमी। खरीदने से पहले हज़ार दफ़ा सोचा था। पत्नी ने तो बार बार विरोध किया था। इस उम्र में इतना महँगा मोबाइल मत लो। भुलक्कड़ हो। कहीं छोड़ आओगे। फिर ढूंढ़ते फिरोगे।
ख़ैर, हमने प्रण किया कि आंयदा से मोबाईल को बुकशेल्फ के ऊपर रखेंगे। जहां से निक्कू मोबाईल दिखाई ही नहीं देगा। छेड़ना तो बहुत दूर की बात है। और  बात आई गई हो गई।
लेकिन जब अगले महीने एसएमएस अलर्ट के ज़रिये बिल आया तो हमारे होश फाख्ता हो गए। हर महीने के मुकाबले १२०० रुपया ज्यादा था। हमने सोचा पिछले महीने एसटीडी का प्रयोग ज्यादा हुआ था। ज्यादा बिल की शायद यही वज़ह हो। हम ईमेल के ज़रिये बिल का इंतज़ार करते रहे। डिटेल्स पता लग जाएंगी। लेकिन ईमेल नहीं आया।
लेकिन जब उसके बाद अगले महीने भी एसएमएस अलर्ट से पता चला कि बिल ज्यादा है। हमारा माथा ठनका।
हम सर्विस प्रोवाईडर कंपनी के ऑफिस पहुंचे। वहां एक एक्सपर्ट ने चेक करके हमें बताया कि वैल्यू एडेड सर्विसेज के कारण है। हम हटा देते हैं। आइंदा ज्यादा नहीं आएगा। उसने यह भी यकीन दिलाया कि ईमेल से डिटेल बिल भी आपको मिलेगा। हमें इत्मीनान हो गया।
लेकिन कल एसएमएस अलर्ट से पता चला कि इस बार हमें १५०० रूपये ज्यादा देने होंगे। हमारे होश फाख्ता हो गए। अरे बाबा, इतना बिल हम रिटायर आदमी कैसे दें।
इस बार हमने टोलफ्री नंबर पर कॉल किया। हमने उसे पूरी डिटेल्स बताई। उसने पूरी तहकीकात करके बताया। वैल्यू एडेड सर्विसेज कभी भी प्रोवाइड नहीं की गयी हैं और न ही इस पर नेट यूज़ हुआ है। दरअसल ये एक्स्ट्रा चार्जेज डाटा कनेक्ट की वज़ह से हैं। हमें लगा ज़रूर ये उस छोटे बच्चे की शरारत है। खेल खेल में उससे डाटा कनेक्ट ऑन कर दिया होगा।  
एक मित्र के बेटे की मदद से सेटिंग में जाकर डाटा अपडेट कनेक्ट बंद कर दिया है। उसने हमें आश्वस्त किया - अंकल हंड्रेड परसेंट अब बिल ज्यादा नहीं आएगा।
और सच में मोबाईल से रह-रह कर कट-कट की आवाज़ें आनी बंद हो गयी हैं। चैन तो मिला है। अब अगले महीने का इंतज़ार है। देखें कैसे ज्यादा आता है बिल

लेकिन एक और गलती हो गयी।
हम आज पड़ोसी वर्माजी से शिकायत करने चले गए कि आप अपने पोते निक्कू को ज़रा संभाल कर रखें।
अब हमें क्या मालूम था कि ब्रेकिंग न्यूज़ मिलने वाली है। 
वर्मा जी बोले - मैं तो आये दिन झेलता हूं। दरअसल, निक्कू के पापा एक बड़ी टेलकॉम कंपनी में काम करते हैं और मां मोबाईल शॉप पर सेल्स में है। जब निक्कू पैदा हुआ था तो सबसे पहले इसने मोबाईल पर ही झपट्टा मारा था इसने। यह तो मोबाईल का पुर्ज़ा पुर्ज़ा खोल भी लेता है। बस बंद करना नहीं जानता।
हम यह सुन कर भोंच्चके रह गए।
वर्मा जी बड़े गर्व से बता रहे थे - वीर अभिमन्यु है मेरा निक्कू।
हम सोच रहे थे कि वर्मा जी ठीक कहते हैं। आज की पीढ़ी को चक्रव्यूह में घुसना आता है, लेकिन निकलना नहीं।
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13-01-2017 mob 7505663626
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