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वीर विनोद छाबड़ा
एक विद्वान हुआ करते थे पंडित कृपा नारायण। परम ज्ञानी और विख्यात धर्म वक्ता।
दूर दूर से लोग उनसे ज्ञान प्राप्त करने आते थे। उनके विचार बहुत सुलझे हुए होते थे।
स्वयं राजा भी उनको बहुत मानते थे और समय समय पर गूढ़ और जटिल मुद्दों पर उनसे सलाह-मशविरा
भी लिया करते थे। उन्हें गर्व भी था अपनी ख्याति और ज्ञान पर।
कृपा जी के पड़ोस में एक साधारण बुद्धि व्यक्ति रहता था - अवतार कृष्ण। वो निर्धन
भी था। छोटी-मोटी परचून की दुकान थी उसकी। इसकी कमाई से जैसे-तैसे गुज़र हो जाती थी।
घर में पत्नी के अलावा और कोई नहीं था। अवतार और उसकी पत्नी का स्वभाव बहुत अच्छा था।
जब-तब किसी की भी मदद के लिए तैयार रहते थे। बस उन्हें पता चल जाए कि किसी को उनकी
मदद की ज़रूरत है। इसी कारण उसे भी लोग दूर दूर तक जानते थे।
लेकिन पंडित कृपा नारायण उन्हें साधारण और हीन व्यक्ति समझ कर ज्यादा तवज्जो नहीं
देते थे।
जबकि अवतार उन्हें जब कहीं देखता तो झुक प्रणाम करता था। उसे गर्व था कि उसके पड़ोस
में पंडित कृपा नारायण जैसे बहुत बड़े विद्वान रहते हैं। वो सबको बताया भी करता था कि
वो कृपा जी का पड़ोसी है।
एक दिन एक राहगीर आया। वो किसी दूसरे नगर
से आया था और पंडित कृपा नारायण के घर का पता पूछ रहा था। कृपा जी उस समय उधर से गुज़र
रहे थे। उनको उत्सुकता हुई कि यह कौन है जो उनके घर का पता पूछ रहा है। वो चुपचाप देखने
लगे। उन्होंने देखा कि वो राहगीर एक पनवाड़ी से उनका घर पूछ रहा है।
पनवाड़ी ने बताया कि वो किसी कृपा को नहीं जानता। तब उस राहगीर ने अवतार कृष्ण का
पता पूछा। पनवाड़ी ने हंस कर कहा - अरे उन्हें कौन नहीं जानता। वो रहा सामने उसका घर।
लेकिन अगले ही पल पनवाड़ी को आश्चर्य भी हुआ - लेकिन, तुम मिलना किससे चाहते
हो? पंडित कृपा नारायण से या अवतार कृष्ण से?
उस राहगीर ने शंका समाधान किया - दरअसल, मिलना तो मुझे अवतार कृष्ण जी से है। लेकिन मुझे बताया गया है
कि वो कृपा नारायण के पड़ोस में रहते हैं।
यह सुन कर पंडित कृपा नारायण को बहुत लज्जा आयी। वो तो अवतार को साधारण और हीन
आदमी समझ कर कभी तवज्जो नहीं देते थे। आज पता चला कि वो अवतार स्वयं बहुत प्रसिद्ध
व्यक्ति है। लेकिन उसे कतई घमंड नहीं है। बहुत विनम्र है। उसने अपने घर का पता भी उनके
घर के पास रहना बताया है।
उस दिन पंडित कृपा नारायण संध्या को अवतार कृष्ण के घर गए। उन्हें गले लगाया। सही
मायने में अच्छे इंसान तो आप हैं।
उसके बाद दोनों पड़ोसी सारी ज़िंदगी एक-दूसरे के घनिष्ट मित्र बने रहे।
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