-वीर विनोद छाबड़ा
पत्नी के प्रति भक्ति
प्रदर्शन के कई रूप हैं।
हमारे पड़ोसी सुबह होते
ही झाड़ू हाथ में थाम लेते हैं। और फिर दिन चढ़ते ही कंधे पर झोला टांग कर सब्ज़ी-भाजी
और नून-तेल के लिए बाज़ार निकल लेते हैं। इसी कारण से उनके घर में हर समय शांति का साम्राज्य
स्थापित रहता है।
एक और साहब रोज़ शाम
को मेमसाब को स्कूटर पर बैठा कर शहीद स्मारक चक्कर लगाते हुए पुराने दिनों की याद करते
हैं - यही वो जगह है जहां हम मिले थे.…
मेरे एक मित्र के पास
तो पुरानी लमरेटा भी रखी है। जुगाड़ से चलती है। जब तक पत्नी का नाम जुबां पर नहीं लाते
स्टार्ट होने का नाम ही नहीं लेती।
कुछ लोग तो बरसों गुज़र
जाने के बाद भी पत्नी प्रेम में इतने लीन हैं कि पर्स में उसकी तस्वीर रखते हैं। वो
बात अलबत्ता दूसरी है कि पत्नी की तस्वीर के नीचे मधुबाला की तस्वीर रखते हैं। कहते
हैं पहला पहला प्यार है। इसे भला कैसे भुलाया जाए। कुछ को गीताबाली और शकीला भी पसंद
थी।
हम तो कहते हैं कि
कोई बुरी बात नहीं। अच्छी ही बात है। तस्वीर है तो रखनी ही चाहिए। जिसके पास नहीं है
वो जले।
लाखों हैं यह मानने
वाले कि तस्वीर की क्या ज़रूरत है, जब पत्नी दिल में रहती है। मगर उसकी सुनता
कौन है। सबूत चाहिये, सबूत। कानून भी यही कहता है। सबूत बिना सब सून।
कल ही जवानी के दिनों
के मित्र मिले। पुराने दिन याद आ गए। और साथ में वो दिन भी याद आया जब पर्स में मौजूद
पत्नी की तस्वीर के पीछे एक और तस्वीर मिली थी, जो यूनिवर्सिटी में
उनकी गर्ल फ्रेंड की थी। पकडे जाने पर पत्नी से पिटाई की भी उन्हें याद आई। उसकी टीस
आज भी रह रह कर उनके दिल में उठती है।
हमें भी एक किस्सा
याद आया।
पत्नी भक्ति की जीवित
मिसाल कहलाने वाले एक सहकर्मी पर्स में पत्नी की तस्वीर रखते थे। दिन में एक बार नहीं
कई-कई बार निहारा करते। सीने से लगा कर हर बार बहुत लंबी तान लगाते - जानू कहां हो
तुम?
उन्होंने हम सबको बता
रखा था कि पत्नी की याद और उसकी तस्वीर को देखना उत्प्रेरक का काम करता है।
यह बात जब उनकी पत्नी
को पहली बार मालूम पड़ी तो उसने स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली माना। बहुत खुश हुईं वो
- ऐसा क्यूं? मुझसे बहुत प्रेम करते हो न?
पति ने कहा - हां,
जानू। जब भी कोई मुसीबत मेरे सामने आती है, मैं तुम्हारी तस्वीर
भर देख लेता हूं। और मुसीबत उड़न छू।
पत्नी को गर्व हुआ
- इसका मतलब यह कि मैं बहुत लकी हूं तुम्हारे लिए। यह बात मैं अपनी मम्मी को भी बताऊंगी।
वो भी मेरी तरह पापा के लिए बहुत लकी हैं।
लेकिन उस दिन पति महोदय
बहुत भारी मुसीबत में फंस गए।
हुआ यों कि पति महोदय
अपने एक दिलजले मित्र को बड़े गर्व से बेफिक्र होकर बता रहे थे - जानते हो जब मुसीबत
में मैं पत्नी की तस्वीर क्यों देखता हूं? और मन ही मन क्या कहता
हूं?
दिलजले मित्र ने न
में सर हिला दिया।
पति बोले - मैं तस्वीर
देख कर मैं मन ही मन कहता हूं, तुमसे भी बड़ी कोई समस्या हो सकती है क्या?
और बस हर समस्या का समाधान चुटकियों में मिल जाता है।
मगर उनका दुर्भाग्य
कि दिलजले मित्र ने यह रहस्य अपनी पत्नी को बताया और उनकी पत्नी ने मित्र की पत्नी
को मिर्ची सहित राज से पर्दा उठा दिया।
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01-05-2017 mob 7505663626
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yah post lazbab, last line padhkar khub hansi aayi
ReplyDeleteविनोद जी, आपकी लेखन शैली कमाल की है मन हँसे बिना नहीं रह सका आपके व्यंग्यात्मक लेखन पर. इसी तरह से सबको हंसाते रहिये जीवनसूत्र की और से अभिवादन स्वीकार करें
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