-वीर विनोद छाबड़ा
हमारे एक मित्र बता रहे थे - आजकल मैं बड़े आराम में है। सर्वगुण संपन्न पत्नी जो
मिलने वाली है।
उन्होंने बताया कि उनकी होने वाली पत्नी ट्रिपल एम.ए. है - हिंदी, इंग्लिश और इकोनॉमिक्स
में। चौथी बार भी करेगी। अभी हिस्ट्री में एडमिशन लिया है। इसे वो शादी के बाद पूरा
करेगी।
मित्र खुद भी डबल एम.ए. हैं - पोलिटिकल साइंस और सोशियोलॉजी से। अच्छी बात है।
पत्नी ज्यादा पढ़ी-लिखी है। होनी भी चाहिए। और सयानी तो होगी ही।
उनमें तनिक हीन भावना भी जगी। फिर खुद को तसल्ली दी। एजुकेशन ही तो ज्यादा है।
लेकिन पढ़ा तो मैं ज्यादा है। साहित्य,
हिस्ट्री, जिओग्राफी, गीता- रामायण और दर्शनशास्त्र तक क्या-क्या नहीं पढ़ा है।
हमारे मित्र शक्ल से भी फिलॉसफर लगते हैं। मोटे-नीले लेंस और काले चौड़े फ्रेम का
चश्मा। चेहरे पर घास की तरह उगी दाढ़ी और बिखरे हुए लंबे लंबे बाल। कई दिन से नहाये
हुए भी नहीं लगते हैं। कभी कभी बदबू भी मारते हैं। बिना इस्त्री की मैली खाखी पैंट
और ऊपर भूरे रंग का कुरता। हर समय कंधे पर काले रंग का मैला सा झोला भी लटकता रहता
है।
लेकिन पत्नी पर रुआब जमाने के लिए इतना काफ़ी नहीं लगा उन्हें। ज्ञान-ध्यान की ढेर
पुस्तकें और हिंदी-अंग्रेज़ी के अनेक मोटे-मोटे ग्रंथ खरीद लाये।
उन्होंने बताया - सुहागरात पर पत्नी को सबसे पहले इन सबसे दर्शन करा कर अपनी रूचि
और प्रतिभा से परिचित कराऊंगा। धन्य हो जायेगी वो मुझ जैसा फिलॉसफर पति प्राप्त करके।
हम तमाम दोस्तों को उनकी किस्मत पर तनिक जलन भी हुई। लेकिन उन्होंने हमें एक बढ़िया
बैचलर पार्टी देकर दिल खुश कर दिया। हम सबने उन्हें भरपूर शुभकामनाएंं दीं और साथ में
सुंदर गिफ़्ट भी।
मित्र की शादी हो गयी, बड़ी धूमधाम से। हम सब खूब नाचे-गाये।
शादी के बाद अक्सर मित्रगण गायब हो जाते हैं। लेकिन वो मित्र मिलते रहे। कुछ दिन
तक बड़े प्रसन्न भी दिखे। उनकी घासनुमा दाढ़ी, बिखरे बाल, झोला आदि सब गायब हो चुका था। एक शरीफ़ आदमी की शक्ल अख्तियार कर ली थी। इत्र की
खुशबू आती थी उनके कपड़ों से। बहुत हैंडसम दिखने लगे।
लेकिन धीरे-धीरे उनके चेहरे पर उदासी सी दिखने लगी। मोटे लेंस के चश्मे के नीचे
आंखों में नींद भरी हुई दिखती। लाख पूछने पर भी कारण नहीं बताया। फिर वो एकाएक गायब
हो गए।
कोई एक साल के बाद हमने अख़बार में पुस्तकों की बिक्री का एक विज्ञापन देखा। साहित्य, इतिहास, भूगोल, विज्ञानं आदि अनेक
विषयों से संबंधित अनेक पुस्तकों का ब्यौरा था उसमें। इसमें ब्रिटिश इनसाइक्लोपीडिया
के २५ वॉल्यूम्स भी शामिल थे।
विज्ञापनदाता ने इन्हें बेचने का कारण भी लिखा था - मेरी पत्नी वो सब कुछ जानती
है जो इन पुस्तकों में लिखा है। संपर्क सूत्र संख्या 223.....
हम लोग समझ गए कि विज्ञापन दाता कौन है।
नोट - उक्त कथा बरसों पहले पढ़े एक छोटे से लतीफ़े पर आधारित है।
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24-05-2017 mob 7505663626
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Lucknow - 226016
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