Thursday, May 25, 2017

धुआं धुआं!

-वीर विनोद छाबड़ा
मैं सुबह सुबह मुंह अंधेरे टहलने नहीं निकलता। इसके दो कारण हैं। 
एक - उस समय पेड़-पत्ती कॉर्बनडाइओक्ससाईड छोड़ रहे होते हैं और हमें हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन और अस्थमा की शिकायत है। डॉक्टर की अड्वाइज़ है कि आसमान में हल्की लालिमा के दर्शन होते ही निकल लें।
दो - अनेक अशिष्ट ही नहीं शिष्ट नागरिक भी अपने घर का कूड़ा-कचरा सफाई कर्मी से उठवाने के स्थान पर घर के द्वारे जलाते दिखते हैं। मजे की बात यह है कि यह काम वो बड़े शान से कर रहे होते हैं मानों वो देश की उन्नति में कोई बड़ा योगदान दे रहे हैं।
यों सफाई कर्मी भी पीछे नहीं हैं। वो भी अपना भार हल्का करने के लिए जहां मौका मिलता है, कूड़े को दियासलाई दिखा देते हैं। कोहरे के दिनों में तो ये धुआं हवा में घुल कर कोढ़ में खाज का काम करता है।
धुआं-धक्कड़ सिर्फ मुझे ही नहीं मेरे जैसे सांस रोगी को नुकसान पहुंचाता, जो हर गली, हर मोहल्ले में बिखरे पड़े हैं। धुआं, आग लगाने वालों के अड़ोस-पड़ोस में ही नहीं जाता, बल्कि स्वयं उनके घर भी जाता है। ये रोगीओं को ही नहीं सामान्य जन को भी हानि पहुंचाता है। यही सोच कर मैं सुबह साढ़े आठ के बाद टहलने निकलता हूं। लेकिन तब भी कई जगहों पर आग की लपटें और धुआं उठते दिख जाता है।

एक जेंटलमैन को मैंने सलाह दी कि कृपया कूड़ा खुले में मत जलाया करें तो उन्होंने मुझे नसीहत दे डाली कि रास्ता बदल दो या फिर दूसरा मोहल्ला देखो।
सांस के रोगियों की संख्या कितनी बढ़ गयी है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दवा की कई दुकानों में तो सांस संबंधित दवाओं का काउंटर ही अलग है। सांस के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ रही है और उनकी फीस भी आम डॉक्टर से ज्यादा है। 
मित्रों। उम्मीद करता हूं आप मेरा आशय समझ गए होंगे।
अगर आप घर का कूड़ा-करकट द्वारे पर जलाने के शौक़ीन हैं तो कृपया ऐसा न करें। आपके पडोसी या स्वयं आपको तकलीफ हो सकती है।
मुमकिन हो तो हर दियासलाई वाले को समझाएं। 
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25-05-2017 mob 7505663626
D-2290 Indira Nagar
Lucknow - 226016

1 comment:

  1. Kitana ajib bat hai ki kisi insan ko dusre ke health ka jara bhi parwah nahi. Aapne jo bate likhe kuchh to mai bhi nahi janta tha. Thank u for sharing nice post. www.topeshkatongue.com

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