Thursday, October 8, 2015

अब तबियत कैसी है?

-वीर विनोद छाबड़ा
वो करीब ६५ के हैं। पत्नी एक-दो साल कम होगी।
मज़ेदार आदमी हैं। अक्सर आते रहते हैं। उस दिन आये तो बता रहे थे।
यह ज़िंदगी एक अबूझ पहली है दोस्त।

हम पति-पत्नी दिन भर लड़ते-झगड़ते हैं।
मैं सीना फुलाता हूं - एमए हूं मैं।
वो काउंटर मारती है - तो मैं कौन कम हूं? मैंने तो डबल एमए किया है, हिंदी और अंग्रेज़ी में।
मैं याद दिलाता हूं - लेकिन अंग्रेज़ी का अख़बार तो पढ़ना आता नहीं। हिंदी में चिट्ठी तक तो लिख पाई। अभी तक रखे हैं प्रेम-पत्र। नकल से पास होना कोई पास होना है। 
वो फ़ुफ़कारती है - शुक्र करो, मेरे भाई ने तुम्हें बीए और एमए में नक़ल कराई थी। नहीं तो बीए फेल कहलाते। कहीं बैठे सब्ज़ी बेच रहे होते।
मैंने ताना मारा - मैं २१ बिस्वा वाला हूं। तुम लोग १८-१९ बिस्वा भी नहीं छू पाये।
वो ब्रम्हास्त्र चलाती  है - होगे २१ बिसवाई। लेकिन थे तो दरिद्र नारायण ही न। मेरे पापा की दस कोठियां थीं। और छह कारें। एक से एक बड़े रिश्ते आ रहे थे। अहसान मानो, मैंने हां कर। मति मारी गयी थी मेरी।
मैं दियासलाई दिखता हूं -  कर्ज उतारने की कोई और स्कीम होती तो कतई शादी के लिए हां न कहता।  
वो बड़बड़ाती रहती है.तेरे सेविंग में एक लाख, तो मेरे पास भी दो लाख.किसी बात में कम नहीं हूं.यह जितना तुम्हारा घर उतना मेरा भी.बच्चे भी मेरे पक्ष में.तुम माइनॉरिटी में हो.वीटो पावर भी नहीं तुम्हारे पास।
चलती रहती है दिन भर गोलाबारी दोनों तरफ़ से।
सुबह नाश्ते, लंच और रात डिनर के वक़्त सीज़ फायर। वाघा बॉर्डर की शाम समझ लो। रूठा-रूठौवल जितना भी हो, खाने से दूरी नहीं। अन्न का अपमान नहीं करते। 
सारा दिन निकल जाता है ऐसे ही।

लेकिन जब दोनों में किसी को छींक भी आये तो दूसरे का रात भर सोना मुश्किल।
ये लो पानी। जल्दी से दवा लो।
पल-पल पूछा जाता है चाय बना दूं? सर दबा दूं? डॉक्टर को फ़ोन करूं?
नहीं नहीं। कुछ नहीं होने का मुझे। बस तुम पास बैठ जाओ।
इसी में तक़रीबन रात गुज़रती है। आख़िरी पहर में न जाने कब आंख लग जाती है।
सुबह आंख खुलते ही पहला सवाल पूछा जाता है।
अब कैसी है तबियत?
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08-10-2015 mob 7505663626
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Lucknow - 226016

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