Saturday, December 12, 2015

थॉमस अल्वा एडीसन - विचित्र व्यक्ति।

- वीर विनोद छाबड़ा
बिजली के बल्ब का फिलामेंट, माइक्रोफोन, ध्वनि, टेलीग्राफ सिस्टम, डायनमो, टाईपराइटर का ढांचा, बैटरी आदि करीब २५०० अविष्कारों से जुड़े और १०९३ पेटेंट अपने नाम करा चुके थॉमस अल्वा एडीसन का जन्म ११ फरवरी १८४७ को हुआ था।

वो मंद बुद्धि बालक थे। हर समय बुखार, सांस लेने में परेशानी और एक कान का बहना। सिर आम बालकों से बड़ा। साथियों में मज़ाक का विषय। उलूल-जलूल सवाल करके अपने माता-पिता और टीचर को बहुत परेशान करना।
एक बार एडीसन ने बत्तख को अंडों पर बैठा देखा। उन्हें बताया गया कि ऐसा करने से अंडे को गर्मी मिलती है और उससे बत्तख पैदा होती है। अगले दिन उन्हें अंडे पर बैठा देखा गया। उन्होंने पक्षियों को कीड़े-मकौड़े खाकर उड़ते हुए देखा। फिर अपनी नौकरानी को यकीन दिलाया कि यदि वो कीड़े खायेगी तो उड़ने लगेगी। बेचारी नौकरानी मरते-मरते बची। एक बार साथी के साथ नदी में नहाने गए। साथी नदी में डूबने लगा। लेकिन डर कर एडीसन छुप गए। अगर वो बता देते तो शायद उनके साथी को बचाया जा सकता था।
उन्हें असमान्य व्यवहार के दृष्टिगत स्कूल से निकाल दिया गया। माता-पिता ने उन्हें घर में पढ़ाना शुरू कर दिया। उन्हें विज्ञानं की पुस्तकें अच्छी लगती थीं। घर के आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण एडीसन को बालकाल में नौकरी करनी पड़ी। वो ट्रेन में अख़बार बेचने लगे।
एडीसन के खुराफ़ाती दिमाग में कुछ न कुछ घूमता रहता था। उन्होंने एक प्रयोगशाला बनाई। दुर्भाग्य से उसमें आग लग गयी। मालिक ने उन्हें खूब तमाचे लगाये। फलतः वो सदैव के लिए बहरे हो गए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। टेलीग्राफी सीखी और उसमें नए-नए अविष्कार करने लगे।
एडीसन मां के देहांत से बहुत दुखी हुए। पिता का अकेलापन दूर के लिए उनके साथ रहने लगे। लेकिन ६७ साल के पिता ने १७ साल की लड़की से शादी कर ली। तब एडीसन ने अपनी फैक्टरी में काम करने वाली १५ साल की मैरी से विवाह कर लिया।
ग्राहम बैल द्वारा अविष्कृत टेलीफोन को एडीसन ने पब्लिक के लिए उपयोगी बनाया तो उन्हें बहुत ख्याति मिली। टेलीफोन जब इंटरनेशनल हुआ तो ग्राहम बेल ने सबसे पहले एडीसन को फ़ोन किया। एडीसन ने चोंगा उठाया और बोले - हैलो। वो दिन है और आज का, टेलीफोन पर सबसे पहला शब्द हैलो ही बोला जाता है।

एडीसन के आलोचक उन्हें सामान्य मैकेनिक कहते थे। उनकी प्रयोगशाला से कोई न कोई अविष्कार होता रहता था। यों तो एडीसन को ढेर अवार्ड में मिले लेकिन सबसे कीमती १९१५ में भौतिकी के लिए नोबल का मिलना रहा। एडीसन को हर समय प्रयोगशाला में घुसे देख उनकी दूसरी पत्नी मीना ओहिओ बहुत दुखी रहती थी। कई बार कहा, जाकर कहीं अच्छी जगह घूमो-फिरो। लेकिन हर बार यह सुनते ही एडीसन प्रयोगशाला में घुस जाते।
एक दिन एडीसन की प्रयोगशाला में आग लग गयी। उन्होंने अपने बेटे से कहा - अपनी मां को बुला ला। ऐसा नज़ारा दोबारा देखने को नहीं मिलेगा।
बीस लाख़ डॉलर का नुक्सान हुआ। लेकिन एडीसन निराश नहीं हुए - हमारी गलतियां स्वाहा हो गयीं।
एडीसन से एक बार पूछा गया कि अगर सुनने की शक्ति लौट आये तो सबसे पहले किसे सुनना चाहेंगे। एडीसन ने कहा - नेपोलियन बोनापार्ट।
१८ अक्टूबर १९३१ को एडीसन की इहलीला ख़त्म हो गयी। अमेरिका ने उनके सम्मान में कुछ मिनट के लिए बल्ब बुझा दिए।
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