- वीर विनोद छाबड़ा
ख़बर आई है, साधना को कैंसर लील गया। हम डाउन मेमोरी लेन
में चले गए। बाल्यावस्था थी जब हमने साधना की फ़िल्म देखी थी- हम दोनों। अभी न जाओ छोड़
कर कि दिल अभी भरा नहीं...। हमारे दिल में समा गयी।
उनकी पहली फ़िल्म लव इन शिमला को हमने बाद में हाफ रेट पर देखा।
पहली ही फिल्म से वो फैशन का आइकॉन बन गयी। माथे पर फैले हुए तराशे बाल। साधना कट के
नाम से बहुत मशहूर हुए। मेरे महबूब में साधना की बुर्के से झांकती नशीली आंखों ने कहर
ढा दिया। वाह, सिर्फ़ आंखें ही काफ़ी हैं खूबसूरती का ज़रूरी इफ़ेक्ट डालने के
लिए। इसी फ़िल्म में उनका चूड़ीदार कुरता-पायजामा भी घर-घर में चर्चा पा गया।
एचएस रवैल ने साधना की आंखों में नशीलापन देखा तो राजखोसला को
उन आंखों में एक उसमें रहस्यमई किरदार दिखा - नैना बरसे रिम-झिम....ट्राइलॉजी ही बना
डाली - वो कौन थी, मेरा साया और अनीता।
साधना ने एक एक्स्ट्रा के तौर पर कैरियर शुरू किया था। मुड़ मुड़
के न देख मुड़ के....नादिरा और राज कपूर पर फ़िल्माये 'श्री ४२०' इस गाने में उनकी कुछ
झलक दिखी थीं। बरसों बाद 'दूल्हा-दुल्हन में वो राजकपूर की नायिका बनीं।
राजेंद्र कुमार के साथ मेरे महबूब के बाद आरज़ू ने भी ज़बरदस्त
तहलका मचाया था। साधना के ग्लैमर को भुनाया बीआर चोपड़ा ने वक़्त में....कौन आया कि निगाहों
में चमक जाग उठी... सुनील दत्त उनके नायक थे। सुनील के साथ आगे चल साधना ने ग़बन और
गीता मेरा नाम की। गीता... को साधना ने डाइरेक्ट भी किया था।
साधना के पति आरके नैयर खुद कामयाब डायरेक्टर थे। उन्होंने साधना
की पहली फ़िल्म लव... डायरेक्ट की थी। बाद में साधना को नैयर ने इंतकाम में डाइरेक्ट
किया।
साधना अपने दौर में अगर युवकों के दिल की रानी थी तो युवतियों
के दिल में देवानंद। हम दोनों के अलावा साधना ने देव के साथ हृषिकेश की 'असली नकली'
की। पहली बार जाना कि साधना सिर्फ़ फैशन का नाम नहीं, बेहतरीन अदाकारा भी
है। एक फूल दो माली और इंतकाम में साधना को बतौर एक्ट्रेस याद करने में कोई बुराई नहीं।
शम्मी कपूर के साथ राजकुमार में साधना हिट रही। धर्मेंद्र और
बिस्वजीत के साथ एक मात्र फिल्म 'यह इश्क़ नहीं आसां' फ्लॉप रही थी। साधना
की चाहत थी दिलीप कुमार के साथ काम करना। एचएस रवैल उन्हें 'संघर्ष' के मुहूर्त तक ले आये,
लेकिन जाने क्या बात हुई कि साधना आउट हो गयी और वैजयंती माला इन।
सुपर स्टार राजेश
खन्ना के साथ साधना ने कॉमेडी की थी - दिल दौलत और दुनिया। एक पुरानी फिल्म पगड़ी का
रीमेक। हर लिहाज़ से अच्छी थी, लेकिन नहीं चली।
फिल्मों से रिटायर होने के बाद साधना ने चरित्र भूमिकायें नहीं
स्वीकार की और न ही इंटरव्यू के लिए तैयार हुईं। जिस रूप में उनको दर्शकों ने चाहा
था, वो उसी रूप में उनके दिलों में रहना चाहती थीं।
साधना बहुत सेलेक्टिव थीं। यही
वज़ह है कि करीब पंद्रह साल फ़िल्मी दुनिया में रहीं, लेकिन फ़िल्में महज़
२८ ही कीं। उनका जन्म ०२ सितंबर १९९४१ को कराची में हुआ था। झुमका गिरा रे बरेली के
बाज़ार में.... के लिए साधना को बहुत याद किया जाता है।
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