Friday, May 20, 2016

आप, ऑटो और चालक।

-वीर विनोद छाबड़ा
आप रेलवे स्टेशन के लिए निकले। साथ है, चल संपत्ति के रूप में एक अदद बीवी और तीन बच्चे। आयु तीन से नौ वर्ष के बीच। अचल संपत्ति - एक सूटकेस, दो बड़े बैग और एक बड़े झोले में कई छोटे-छोटे झोले। अलावा इसके दो हैंड बैग। ज्यादातर सामान आप लादे हैं, एक बैग पत्नी के पास और बाकी छोटा-मोटा बच्चों के बीच बटा है।

आप गिरते-पड़ते जैसे-तैसे ऑटो स्टैंड पहुंचे। ऐसी सूरत में तो फुल्ल आटो ही चाहिये ही। 
घाट-घाट का पानी पिये एक घाघ ऑटो चालक ने आपकी मंशा को भांपने में ज़रा भी देर नहीं की - आईये। रेलवे स्टेशन?
आप उस पर चढ़ने के अंदाज़ में बोले - हां, भाई। इतने सामान के साथ रेलवे स्टेशन ही तो जाएंगे, हवाई अड्डे नहीं।
ऑटो चालक ने आपकी चल और अचल संपत्ति दोनों का एक बार फिर करीने से जायज़ा लिया - दो सौ रूपए लगेंगे।
आपके कान में किसी ने जैसे गर्म-गर्म शीशा उड़ेल दिया। आपको यह भी ख्याल है कि पत्नी और बच्चे साथ हैं। उन पर रुआब भी झाड़ना है। आप भन्ना कर ऑटो चालक पर पूरी फ़ोर्स के साथ टूट पड़ते हैं - क्या कहा, दो सौ! खालाजी का घर है क्या? रोज़ का आना-जाना है। फुल्ल ऑटो सौ लगता है। एक धेला ज्यादा नहीं दूंगा।
आप अपने निर्णय के समर्थन के लिये पत्नी की ओर देखते हैं। पत्नी के माथे पर बल पड़ जाते हैं। आंखें गुस्से से फैल जाती हैं। बिना बोले ही उसका चेहरा सब कुछ बयां कर रहा है - कैसा आदमी है यह? घर में बड़ी ढींगे हांका करता है कि मैं बड़ा पैसे वाला हूं। स्वाभीमानी हूं। जिसने जो मांगा, दे दिया। घिस्सू किस्म का आदमी नहीं हूं। अब क्या हुआ?
आपने पत्नी की आंखों में झांक कर उसके दिल की बात पढ़ ली है। अब आपने दूसरे ऑटो चालक से बात की। नहीं माना वो। फिर तीसरे और चौथे ने भी मना कर दिया।
यह तय है कि कोई भी आटो चालक दो सौ से कम पर किसी सूरत में नहीं मानेगा। उनसे चिक-चिक करना फ़िज़ूल है। लेकिन चिरौरी करना या हारना आपके स्वभाव में नहीं। उधर ट्रेन छूटने का भी डर है। इसका आपको पूरा अहसास है। यानि कि ग़रज़ आपकी है। सरेंडर करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। बड़ी असमंजस्य की स्थिति है।

परंतु आप भी किसी घाघ से कम नहीं। बीच का रास्ता निकालने में माहिर हैं। सरेंडर करने के स्थान पर एक गर्वीली मुद्रा धारण करते है- चलो यार, अब सफ़र पर निकले हैं तो सौ-दो सौ कम या ज्यादा का क्या मुंह देखना?

आटो चालक आपकी इस नकली गर्वीली स्थिति को पहचान कर मंद-मंद मुस्कुराता है। आप जैसों से उसका अक्सर पाला पड़ता रहता है। खासा तजुर्बा हो चुका है उसे। लेकिन इसके बावजूद वो आप पर तरस खाकर थोड़ी सी मरहम-पट्टी करता है। उसे आपका आपकी पत्नी के सामने मान भी तो रखना है। वो सामान रखने में आपकी मदद करने में जुट जाता है।
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20-05-2016 mob 7505663626
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