Tuesday, December 20, 2016

घोड़े और भैंस की जंग में फायदा इंसान को।

-वीर विनोद छाबड़ा
बरसों पहले नानी एक कहानी सुनाया करती थी।
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एक घोड़े और एक भैंस में बड़ी ज़बरदस्त दोस्ती थी। एक दिन दोनों में इस मुद्दे पर झगड़ा हो गया कि किसकी उपयोगिता अधिक है। कई दिन तक चली इस लड़ाई में भैंस ने सींग मार-मार कर घोड़े को घायल कर दिया।

घोड़ा हार गया और लहूलुहान होकर भागता हुआ इंसान की शरण में गया। क्योंकि उसने सुन रखा था कि इंसान बहुत सीधा होता है और समझदार भी। वो मजलूमों की मदद भी करता है। चिकित्सा भी कर लेता है।
इंसान ने घोड़े की मरहम पट्टी की और पूछा - यह सब कैसे हुआ?
घोड़े ने सारा हाल सुनाया। फिर इंसान से अनुरोध किया - मैं चाहता हूं कि आप मेरी ओर से भैंस को सबक सिखाओ।
इंसान ने पहले तो मना कर दिया कि यह संभव नहीं है। लेकिन घोड़े के बार बार अनुरोध करने पर वो मान गया। लेकिन यह भी पूछा कि यह संभव कैसे होगा? भैंस तो बहुत बलशाली है और फिर इसमें उसको लाभ क्या होगा ?

घोड़े ने सुझाव दिया - आप मेरी पीठ पर बैठ जाना। डंडे से मार-मार कर भैंस को अधमरा कर देना। फिर भैंस को रस्सी से बांध कर अपने कब्ज़े में कर लेना। वो बहुत मीठा दूध देती है। इससे तुम्हें ताकत मिलेगी। और उसका गोबर भी बहुत काम का है। इसके कंडे बना लेना जो ईंधन का काम करेंगे।
इतने फायदे सुन कर इंसान को लालच आ गया। वो भैंस से लड़ने के लिए तैयार हो गया। उसने घोड़े द्वारा बताई विधि से भैंस से युद्ध किया और अंततः जीत गया।
जब घोड़े का काम ख़त्म हो गया तो वो वापस जाने लगा। लेकिन इंसान ने उसे पकड़ कर रस्सी से बाँध दिया - अरे तू कहां चला?

घोड़े ने कहा - मेरा काम खत्म हो चुका है। मेरी वज़ह से आपको भैंस मिल गई है, जिससे आपको अनेक लाभ हैं। 
इंसान की आंखें चमक उठीं - आज से पूर्व मुझे नहीं मालूम था कि तुम तो बहुत अच्छी सवारी हो। अब भैंस के साथ तुम भी मेरे कब्ज़े रहोगे। मैं दोनों को भोजन भी दूंगा और फायदा उठाऊंगा।
घोड़े ने बहुतेरी कोशिश की खुद को छुड़ाने की। लेकिन सफल नहीं हो सका। चालाक इंसान के चुंगल में वो बुरी तरह फंस चुका था।
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नानी ने युगों पुरानी कथा समाप्त की। और हम लोगों को सबक दिया - अगर आपस में अहंकार और वैमनस्य की भावना रखोगे तो एक दिन किसी तीसरे चालाक इंसान के गुलाम बन जाओगे।
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